राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ( President Ramnath Kovind ) ने सोमवार को मानव संसाधन विकास मंत्रालय (Ministry of Human Resource Development) के नाम में बदलाव कर इसे शिक्षा मंत्रालय(Ministry of Education) करने को अपनी मंजूरी दे दी।इसके साथ ही अब आधिकारिक रूप से मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय (Ministry of Education) हो गया है।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि मंत्रालय का नाम परिवर्तन नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy )-2020 के मसौदे की प्रमुख सिफारिशों में से एक था, जिसे पिछले महीने केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भी मंजूरी दे दी थी। सोमवार की रात प्रकाशित एक गजट अधिसूचना में कहा गया कि राष्ट्रपति ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय (Ministry of Education) करने को मंजूरी दे दी है।
तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में 1985 में शिक्षा मंत्रालय (Ministry of Education) का नाम बदलकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय कर दिया गया था। एनईपी को 1986 में लाया गया था और बाद में इसे 1992 में संशोधित किया गया था। पी.वी. नरसिंह राव राजीव गांधी कैबिनेट में पहले मानव संसाधन विकास मंत्री बने।
नरेन्द्र मोदी ( Narendra Modi ) सरकार ने इसरो के पूर्व अध्यक्ष के कस्तूरीरंगन की अगुवाई में एक समिति को नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाने का जिम्मा सौंपा था। समिति ने पहला प्रस्ताव मंत्रालय का नाम फिर बदलने का रखा था। वर्ष 2018 में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष और ‘कॉन्फ्रेंस ऑन एकेडमिक लीडरशिप ऑन एजुकेशन फॉर रिसर्जेंस की संयुक्त संगठन समिति के भी अध्यक्ष राम बहादुर राय ने यह विचार रखा था।
नई शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई अहम बदलाव किए गए हैं।। मंत्रालय ने इस मसौदे पर लोगों को अपना सुझाव देने के लिए कहा था। इस मसौदे पर दो लाख से अधिक सुझाव मिले थे। 34 साल बाद देश में स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा में बड़े बदलाव किए गए हैं।पीएम मोदी ने भी अपने संबोधन में इस नई नीति की तारीफ की थी।