Friday, September 20, 2024

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#BaldevChhath कोरोना के कारण ब्रज के राजा दाऊजी महाज का जन्मोत्सव सादगी पूर्वक मना,बलदेव स्थित मुख्य दाऊजी मंदिर से ऑनलाइन दर्शन कराए गए

 

दाऊजी महाराज एवं रेवती मैया के विग्रह
दाऊजी महाराज एवं रेवती मैया के विग्रह

  ( )   में कोरोना संक्रमण के कारण   के राजा दाऊजी महाराज का जन्मोत्सव बलदेव छठ ( Baldev Chhath ) सादगी पूर्वक मनाया गया। सोमवार प्रात: एवं दोपहर में दाऊ दादा का विशेष अभिषेक हुआ। उन्हें विशेष पोशाक पहनाई गई। हीरे-जवाहरात धारण कराए गए। बलदेव नगर के घर-घर और अन्य मंदिरों में भी बलदेव छठ ( Baldev Chhath ) मनाई गई।

मुख्य दाऊजी मंदिर में सुबह विद्वानों ने बलभद्र सहस्त्रनाम पाठ किया गया। हवन में आहुतियां दी। मंदिर में हल्दी से स्वास्तिक लगाए गए। दोपहर में विशेष अभिषेक किया गया। विशेष प्रकार से निर्मित दही, माखन, हल्दी, केसर आदि के पंचामृत से अभिषेक हुआ। ठाकुर जी का दिव्य शृंगार किया गया।

बलदेव छठ ( Baldev Chhath ) पर बलदेव स्थित मुख्य दाऊजी   से बाहर के दर्शनार्थियों को ऑनलाइन दर्शन कराए गए। मंदिर प्रांगण में सामाजिक दूरी के साथ समाज गायन हुआ। इसमें ‘जै हलधारी जै बलधारी तेरी जय हो’ ‘बलिहारी जाऊं अपने दाऊ दादा के चरणन में’, ‘ब्रज मच्यौ हल्ला रोहिणी ने जायौ लल्ला’, ‘दाऊ दादा अवतारी महिमा है निराली’, ‘नन्द के आनन्द भए जय दाऊदयाल की…’ आदि पदों का गायन हुआ।

बलदेव छठ ( Baldev Chhath ) पर समाज गायन के बाद नंदोत्सव में दधिकांधौं लीला का मंचन हुआ। लाला की छीछी (हल्दी, दही माखन) लुटाया गया। इसके बाद क्षीरसागर की परिक्रमा की गई। मंदिर के रिसीवर आरके पांडेय ने बताया कि मंदिर में दर्शनों पर रोक लगी थी। इससे बाहर के किसी भी व्यक्ति को मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया गया।

भगवान के 19वें अवतार में यदुवंश में बलदेव जी प्रकट हुए। गर्ग संहिता में देवकी के सातवें गर्भ में बलदेव जी का आगमन हुआ। वसुदेव की दूसरी पत्नी रोहिणी कंस के भय से गोकुल में रहती थी। योग माया ने गर्भ को देवकी के उदर से रोहिणी के गर्भ में स्थापित कर दिया था। देवकी का सातवां गर्भ हर्ष और शोक वाला था। पांच दिन बाद भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि स्वाति नक्षत्र बुधवार थी, मध्याह्न के समय, तुला लग्न मेें पांच ग्रह उच्च थे, रोहिणी के गर्भ से नंद भवन में श्री बलदेव जी अवतरित हुए।

बलदेव स्थित दाऊजी मंदिर  भूमि खोदकर निकाला गया था विग्रह, बलराम जी की विशाल मूर्ति श्रीकृष्ण के पौत्र श्री बज्रनाभ ने पूर्वजों की स्मृति में स्थापित कराई थी। यह मूर्ति द्वापर के बाद भूमिस्थ हो गई थी। मूर्ति पूर्व कुषाण कालीन है। गोकुल में श्रीमद् बल्लभाचार्य पौत्र गोस्वामी गोकुलनाथ जी को बलदेव जी ने स्वप्न दिया कि श्यामा गाय जिस स्थान पर दूध स्रवित करती है, उस भूमि में प्रतिमा है। भूमि की खोदाई कर विग्रह निकाला।

श्री कल्याण देव जी को पूजा-अर्चना का भार सौंपा। तभी से श्री कल्याण देव जी के वंशज पूजा सेवा करते हैं। बलदेव जी का श्री विग्रह आठ फीट ऊंचा, साढ़े तीन फीट चौड़ा श्याम वर्ण है, पीछे शेष नाग सात फनों से युक्त छाया करते हैं। विग्रह नृत्य मुद्रा में है, दाहिना हाथ सिर से ऊपर वरद मुद्रा में है। बायें हाथ में चषक है।

 

 

 

Vijay Upadhyay

Vijay Upadhyay is a career journalist with 23 years of experience in various English & Hindi national dailies. He has worked with UNI, DD/AIR & The Pioneer, among other national newspapers. He currently heads the United News Room, a news agency engaged in providing local news content to national newspapers and television news channels