
उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh) की राजधानी लखनऊ ( Lucknow ) में सीबीआई ( CBI )की विशेष अदालत ने कर्नाटक कैडर के आईएएस अनुराग तिवारी( Anurag Tiwari ) की संदेहास्पद परिस्थितियों में हुई मौत के मामले में दाखिल क्लोजर रिपोर्ट को निरस्त कर दिया है। साथ ही क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती देने वाली विरोध (प्रोटेस्ट) याचिका में उठाए गए सवालों के आधार पर सीबीआई ( CBI )को पुनः अग्रिम विवेचना का आदेश भी दिया है। अदालत ने अनुराग तिवारी के भाई मंयक तिवारी की प्रोटेस्ट अर्जी पर यह आदेश देते हुए सीबीआई को 30 सितंबर को प्रगति रिपोर्ट भी दाखिल करने का निर्देश दिया है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh) के बहराइच ( Bahraich ) के रहने वाले आईएएस अनुराग तिवारी ( Anurag Tiwari ) बंगलूरू ( Bengaluru ) में फुड सिविल सप्लाई एंड कंज्यूमर अफेयर में कमिश्नर के पद पर तैनात थे। 17 मई, 2017 की सुबह राजधानी के पॉश इलाके मीराबाई मार्ग पर सड़क किनारे उनकी लाश मिली थी। वे दो दिन से स्टेट गेस्ट हाउस के कमरा नंबर-19 में ठहरे थे। 25 मई, 2017 को मयंक तिवारी ने अपने आईएएस भाई अनुराग तिवारी की मौत के इस मामले में हजरतगंज कोतवाली में हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उन्होंने एफआईआर में किसी को नामजद नहीं किया था। इस मामले की जांच बाद में सीबीआई को सौंप दी गई थी। मयंक तिवारी ने हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराते हुए कहा था कि उनके भाई के पास कर्नाटक के एक बड़े घोटाले की फाइल थी। इस फाइल पर दस्तखत के लिए उन पर दबाव बनाया जा रहा था। लेकिन वो फाइल पर दस्तखत करना नहीं चाहते थे। करीब दो माह पहले अनुराग ने उन्हें यह भी बताया था कि उनकी जान को खतरा है।
बाद में इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। सीबीआई ने इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट लगाते हुए अनुराग की मौत में किसी तरह की साजिश से इंकार कर दिया था। कहा, मृतक द्वारा किसी बड़े घोटाले का पर्दाफाश करने या उनके उच्चाधिकारियों से मृत्यु का भय होने के आरोपों की पुष्टि नहीं हो सकी है।
मयंक ने क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती देते हुए कहा, सीबीआई ( CBI ) के विवेचक ने पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर अनुराग की हत्या को दुर्घटना बताने के उद्देश्य से जांच की। सिर्फ महत्वपूर्ण तथ्यों व फोरेंसिंक साक्ष्यों को ही दरकिनार नहीं किया गया, बल्कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट की जानबूझ की गलत व्याख्या भी की गई।
आईएएस अनुराग तिवारी की मौत के मामले( IAS Anurag Tiwari Death Case) में सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए वकील ने कई तर्क कोर्ट के सामने रखे। वकील नूतन ठाकुर ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर भी अपने कई तर्क दिये।
वकील ने तर्क दिया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट का हवाला देते हुए सीबीआई का यह कहना कि अनुराग की मौत स्वतः गिरने (एस्फिक्सीया) से हुई है, सरासर गलत है। क्योंकि जिस प्रकार वह गिरे और जिस प्रकार दम घुटने से उनकी मौत बताई जा रही है, वह सिर्फ हत्या की स्थिति में हो सकता है। अनुराग के शरीर की जो स्थिति थी, उससे दुर्घटना का कारण प्रमाणित नहीं होता है। सीबीआई का यह दावा कि अनुराग का पेट खराब था। उन्हें डायरिया हुआ था, भी गलत है। क्योंकि उनके पेट में भोज्य पदार्थ मिला है। यह भी तर्क दिया गया कि सीबीआई ने अनुराग के लैपटाप को यह कहते हुए नहीं देखा कि उसका पासवर्ड नहीं मिला। जबकि सीबीआई चाहती, तो उसे किसी भी विशेषज्ञ से खुलवा सकती थी। पर, इसके लिये कोई प्रयास ही नहीं किया गया।
मयंक ने कोर्ट से क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करने व एसपी रैंक के अधिकारी से विवेचना कराए जाने अनुरोध किया था। कोर्ट ने इन तर्कों से सहमत होते हुए माना कि मामले में अग्रिम विवेचना कराया जाना आवश्यक है।