Friday, September 20, 2024

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#MannKiBaat खिलौना बाजार से चीन की होगी छुट्टी,‘मन की बात’ में पीएम मोदी ने कहा- भारत को खिलौना बाजार में भी बनाना है आत्मनिर्भर

 ) के 68वें संस्‍करण में     ने आज खिलौनों का जिक्र किया। उन्होंने लोकल खिलौनों के लिए वोकल होने की बात कही। यानी उन्होंने लोगों से अपील की है वह लोकल खिलौने खरीदें और साथ ही दूसरों को भी उनके बारे में बताएं। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लिए मिलकर खिलौने बनाएं। दरअसल, ( )  के साथ रिश्ते खराब होने के चलते वहां से खिलौने आना बंद हो रहे हैं। लोग भी चीन में बने सामानों का बहिष्कार करने का मन बना चुके हैं। ऐसे में खिलौना उद्योग में खूब मौके हैं।

ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात'(  ) में लोगों को संबोधित करते हुए खिलौना बाजार को लेकर ‘लोकल फॉर वोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने खिलौनों को बाहर से आयात करने के बजाय उन्हें स्थानीय तौर पर तैयार करने पर जोर दिया।

पीएम मोदी की इस बात से पता चलता है कि वह  ( ) को भारतीय खिलौना बाजार से दूर करना चाहते हैं। इसे प्रधानमंत्री मोदी द्वारा चीन के खिलाफ उठाए जाने वाले एक अन्य कदम के रूप में देखा जा सकता है। चीन का भारतीय खिलौना बाजार में बहुत बड़ा हिस्सा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, भारतीय खिलौने हमारे चिंतन का विषय है। हाल ही में, इस बात पर मंथन हुआ है कि भारत के बच्चों को नए-नए खिलौने कैसे मिलें। भारत खिलौना उत्पादन का बहुत बड़ा हब कैसे बने।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व खिलौना उद्योग सात लाख करोड़ रुपये से भी अधिक का है लेकिन इसमें भारत की हिस्सेदारी बहुत कम है।

उन्होंने कहा, ‘देश में स्थानीय खिलौनों की बहुत समृद्ध परंपरा रही है। कई प्रतिभाशाली और कुशल कारीगर हैं जो अच्छे खिलौने बनाने में महारत रखते हैं। लेकिन आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि विश्व खिलौना उद्योग सात लाख करोड़ रुपये से भी अधिक का है, सात लाख करोड़ रुपयों का इतना बड़ा कारोबार, लेकिन भारत का हिस्सा उसमें बहुत कम है।’

पीएम ने कहा कि खिलौने एक्टिविटी बढ़ाते हैं मन बहलाते हैं। खिलौनों के सम्बन्ध में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कहा था कि best Toy वो होता है जो Incomplete यानी अधूरा होता है। यानी ऐसा खिलौना, जो अधूरा हो और बच्चे मिलकर खेल-खेल में उसे पूरा करें। पीएम ने कहा कि भारत में लोकल खिलौनों की बहुत समृद्ध परंपरा रही है। कई प्रतिभाशाली और कुशल कारीगर हैं, जो अच्छे खिलौने बनाने में महारत रखते हैं। यहां तक कि भारत के कुछ इलाके Toy Clusters यानी खिलौनों के केन्द्र के रूप में भी विकसित होने लगे हैं जैसे, कर्नाटक के रामनगर में चन्नापटना, आंध्र प्रदेश के कृष्णा में कोंडापल्ली, तमिलनाडु में तंजौर, असम में धुबरी, उत्तर प्रदेश का वाराणसी और ऐसे ही कई अन्य स्थान हैं।

खिलौनों की विरासत, परंपरा और विविधता की याद दिलाते हुए मोदी ने कहा कि इतनी बड़ी युवा आबादी होने के बावजूद खिलौनों के बाजार में भारत की हिस्सेदारी इतनी कम होना अच्छा नहीं लगता।

उन्होंने कहा कि खिलौना उद्योग बहुत व्यापक है। गृह उद्योग हो, छोटे और लघु उद्योग हों, बड़े उद्योग या निजी उद्यमी, सभी इसके दायरे में आते हैं। इसे आगे बढ़ाने के लिए देश को मिलकर मेहनत करनी होगी।

प्रधानमंत्री ने स्टार्ट-अप और नए उद्यमियों से खिलौना बनाने का आह्वान करते हुए कहा, ‘अब सभी के लिए लोकल खिलौनों के लिए वोकल होने का समय है। आइए, हम अपने युवाओं के लिए कुछ नए प्रकार के, अच्छी गुणवत्ता वाले खिलौने बनाते हैं। खिलौना वो हो जिसकी मौजूदगी में बचपन खिले भी, खिलखिलाए भी। हम ऐसे खिलौने बनाएं, जो पर्यावरण के भी अनुकूल हों।’

आन्ध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम निवासी सी.वी. राजू की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बेहतरीन गुणवत्ता के खिलौने बनाकर उन्होंने स्थानीय खिलौनों की खोई हुई गरिमा को वापस ला दिया है।

प्रधानमंत्री ने कहा, खिलौनों के साथ हम दो चीजें कर सकते हैं। अपने गौरवशाली अतीत को अपने जीवन में फिर से उतार सकते हैं और अपने स्वर्णिम भविष्य को भी संवार सकते हैं।

 

Vijay Upadhyay

Vijay Upadhyay is a career journalist with 23 years of experience in various English & Hindi national dailies. He has worked with UNI, DD/AIR & The Pioneer, among other national newspapers. He currently heads the United News Room, a news agency engaged in providing local news content to national newspapers and television news channels