सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court) ने मध्यप्रदेश के उज्जैन (Ujjain) में स्थित प्राचीन ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर ( Mahakal Temple )के शिवलिंग में हो रहे क्षरण को रोकने के लिए कई निर्देश जारी किए। मंगलवार को न्यायालय की एक पीठ द्वारा जारी निर्देश में श्रृद्धालुओं द्वारा लिंग पर घी, बूरा आदि सामग्री नहीं मलना भी शामिल है।
न्यायालय की पीठ ने कहा कि श्रृद्धालुओं द्वारा शिवलिंग पर दही, घी और शहद मलने से भी क्षरण होता है और बेहतर होगा कि महाकाल मंदिर ( Mahakal Temple ) समिति श्रृद्धालुओं को सीमित मात्रा में शुद्ध दूध ही अर्पित करने की अनुमति दें। शीर्ष अदालत ने मंदिर समिति को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि भस्म आरती के दौरान प्रयुक्त होने वाली भस्म की पीएच गुणवत्ता में सुधार किया जाए और शिवलिंग को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जाए।
न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने इस प्राचीन मंदिर में स्थित शिवलिंग के संरक्षण के लिए अनेक निर्देश दिए और मंदिर समिति को बेहतर तरीके से इस पर अमल करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी आगंतुक या श्रृद्धालु किसी भी कीमत पर शिवलिंग को मले नहीं।
पीठ ने कहा कि यदि कोई श्रृद्धालु ऐसा करता है तो उसे ऐसा करने से नहीं रोकने के लिए वहां मौजूद पुजारी या पुरोहित जिम्मेदार होंगे। मंदिर की ओर से होने वाली पारंपरिक पूजा और अर्चना के दौरान शिवलिंग को मलने के अलावा कोई भी ऐसा नहीं करेगा।’
पीठ ने इस महाकाल मंदिर ( Mahakal Temple ) से संबंधित मामले में सुनाए गए अपने फैसले में विशेषज्ञों की समिति की रिपोर्ट का भी हवाला दिया। इस समिति में पुरातत्व विभाग और भूवैज्ञानिको के अलावा मंदिर समिति के सदस्य भी शामिल थे। पीठ ने कहा, ‘इस शिवलिंगम को संरक्षित करने के लिए हम निर्देश देते हैं कि कोई भी इसे मलेगा नही।’
पीठ ने इस तथ्य का भी जिक्र किया कि पिछले साल 19 जनवरी को विशेषज्ञों का दल मंदिर गया था और उसने अपनी रिपोर्ट में शिवलिंग में क्षरण होने का उल्लेख किया है। न्यायालय ने निर्देश दिया कि विशेषज्ञ समिति मंदिर का दौरा करेगी और 15 दिसंबर, 2020 तक अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। न्यायालय ने कहा कि यह समिति साल में एक बार मंदिर का दौरा करेगी और अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।