Sunday, April 20, 2025

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Kerala: संविधान के मूल ढांचे का सिद्धांत दिलाने वाले संत केशवानंद भारती का निधन ,पीएम मोदी ने जताया शोक

संविधान के  ‘मूल संरचना सिद्धांत’ का निर्धारण करने वाले केस के प्रमुख याचिकाकर्ता रहे संत केशवानंद भारती(Kesavananda Bharati  ) का रविवार सुबह   ) के कासरगोड जिले के इडनीर स्थित उनके आश्रम में निधन हो गया। 79 वर्षीय केशवानंद भारती केरल के कासरगोड़ में  इडनीर मठ के प्रमुख थे। बता दें कि साल 1973 में उनके और केरल सरकार के बीच चले केस के फैसले ने उनकी पूरे भारत में अलग पहचान बनाई थी।

उनके निधन पर  (     ने भी ट्वीट करके अपनी श्रद्धांजलि दी है, पीएम मोदी ने कहा कि पूज्य केशवानंद भारती(Kesavananda Bharati  ) देश के महान संत और समाज सुधारक थे. उन्होंने संविधान के मूल्यों को आगे बढाने और देश की संस्कृति के प्रसार में अहम योगदान दिया. ओम शांति

केशवानंद को ‘केरल का शंकराचार्य’ भी कहा जाता है। वर्ष 1973 में ‘केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य’ ( Kesavananda Bharati vs State of Kerala) का फैसला करीब 48 साल बाद भी प्रासंगिक है और दुनिया की कई अदालतों में कोट किया जाता है। इस मामले में   (  के फैसले के 16 साल बाद बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने ‘अनवर हुसैन चौधरी बनाम बांग्लादेश’ में मूल सरंचना सिद्धांत को भी मान्यता दी थी। ‘केशवनंद भारती बनाम केरल राज्य’ केस के ऐतिहासिक फैसले के अनुसार, ‘संविधान की प्रस्तावना के मूल ढांचे को बदला नहीं जा सकता।’

कासरगोड़ जिले(  )में इडनीर मठ( Edneer Mutt )  है। केशवानंद इसके उत्‍तराधिकारी थे। केरल की तत्कालीन वामपंथी सरकार ने भूमि सुधार मुहिम के तहत जमींदारों और मठों के पास मौजूद हजारों एकड़ की जमीन अधिगृहीत कर ली थी। सरकार का तर्क था कि वो जमीनें लेकर आर्थिक गैर-बराबरी कम करने की कोशिश कर रही है। इस सरकारी फैसले को तब युवा संत ने चुनौती दी थी।  केरल सरकार ने दो भूमि सुधार कानून बनाए जिसके जरिए धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन पर नियंत्रण किया जाना था। उन दोनों कानूनों को संविधान की नौंवी सूची में रखा गया था ताकि न्‍यायपालिका उसकी समीक्षा न कर सके। साल 1970 में केशवानंद(Kesavananda Bharati  ) ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। यह मामला जब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो ऐतिहासिक हो गया। सुप्रीम कोर्ट के 13 जजों की बेंच बैठी, जो अबतक की सबसे बड़ी बेंच है। 68 दिन सुनवाई चली, यह भी अपने आप में एक रेकॉर्ड है। फैसला 703 पन्‍नों में सुनाया गया।

संत केशवानंद भारती (Kesavananda Bharati  )का केस तब के जाने-माने वकील नानी पालकीवाला ने लड़ा था। 13 जजों की बेंच ने 11 अलग-अलग फैसले दिए थे जिसमें से कुछ पर वह सहमत थे और कुछ पर असहमत। मगर ‘मूल ढांचे’ का सिद्धांत आगे चलकर कई अहम फैसलों की बुनियाद बना। कई संवैधानिक संशोधन अदालत में नहीं टिके। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी व्‍यवस्‍था दी कि न्‍यायपालिका की स्‍वतंत्रता संविधान के मूल ढांचे का हिस्‍सा है, इसलिए उससे छेड़छाड़ नहीं की जा सकती।

 

Vijay Upadhyay

Vijay Upadhyay is a career journalist with 23 years of experience in various English & Hindi national dailies. He has worked with UNI, DD/AIR & The Pioneer, among other national newspapers. He currently heads the United News Room, a news agency engaged in providing local news content to national newspapers and television news channels