विदेश मंत्री एस जयशंकर ( SJaishankar ) ने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) विदेश मंत्रियों की अनौपचारिक बैठक में परोक्ष रूप से पाकिस्तान (Pakistan )पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सीमा पार आतंकवाद, (Cross-border terrorism) संपर्क को अवरुद्ध करना और व्यापार को बाधित करना तीन प्रमुख वैश्विक चुनौतियां हैं जिन्हें दूर करने के लिए दक्षेस देशों को कड़े कदम उठाने होंगे। हम दक्षिण एशिया क्षेत्र में स्थायी शांति, समृद्धि और सुरक्षा को तभी देख पाएंगे जब ऐसी चुनौतियां खत्म हो जाएंगी।
कोरोना के कहर के बीच गुरुवार को दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) देशों के विदेश मंत्रियों बैठक हुई। बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी शामिल हुए। इस बैठक में कोरोना महामारी से निपटने के लिए सार्क फंड के गठन पर भी बात हुई।
बैठक के बाद विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ( SJaishankar ) ने ट्वीट कर कहा कि आज सार्क विदेश मंत्रियों की अनौपचारिक बैठक को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि ‘पड़ोसी की पहली नीति के प्रति भारत की प्रतिबद्धता सभी पड़ोसी देशों से जुड़ाव, एकीकृत, सुरक्षित और समृद्ध दक्षिण एशिया के निर्माण की दिशा में काम करने की है।’
विदेश मंत्री ने बताया कि भारत ने सार्क देशों के अपने पड़ोसियों की हर मुश्किल वक्त में मदद की है। उन्होंने बताया कि भारत अपने सार्क पड़ोसियों की मदद पर जोर दे रहा है। भारत ने मालदीव को 150 मिलियन अमेरिकी डॉलर, भूटान को 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर और श्रीलंका को साल 2020 के दौरान 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मदद दी है।
विदेश मंत्रियों की अनौपचारिक बैठक में एस जयशंकर ने परोक्ष रूप से पाकिस्तान पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सीमा पार आतंकवाद, संपर्क को अवरुद्ध करना और व्यापार को बाधित करना तीन प्रमुख वैश्विक चुनौतियां हैं जिन्हें दूर करने के लिए दक्षेस देशों को कड़े कदम उठाने होंगे। हम दक्षिण एशिया क्षेत्र में स्थाई शांति, समृद्धि और सुरक्षा को तभी देख पाएंगे जब ऐसी चुनौतियां खत्म हो जाएंगी।
सार्क (SAARC)देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के लोग शामिल हुए। लेकिन इस दौरान बैकग्राउंड में पाकिस्तान ने कोई नक्शा नहीं लगाया था। दरअसल पिछली बार पाकिस्तान ने बैठक में एक काल्पनिक नक्शा पेश किया था और उसमें भारत की जमीन को भी अपना बताया था। पाकिस्तान के इस नक्शे के बाद एनएसए डोभाल ने काफी सख्ती दिखाई थी और पड़ोसी देश के इस काल्पनिक नक्शे का विरोध करते हुए मीटिंग छोड़कर चले गए थे।