प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ( Prime Minister Narendra Modi ) ने शनिवार को तीसरी बार संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की 75वीं बैठक को संबोधित किया। उन्होंने 22 मिनट की स्पीच दी। शुरुआत में संयुक्त राष्ट्र संघ ( यूएन) की अहमियत पर सवाल उठाए।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में सुधार की भारत की मांग को पुरजोर तरीके से उठाते हुए सवाल किया कि आखिरकार विश्व के सबसे बड़े इस लोकतंत्र को इस वैश्विक संस्था की निर्णय प्रक्रिया से कब तक अलग रखा जायेगा।
मोदी ने कहा कि 1945 की दुनिया आज से एकदम अलग थी। साधन, संसाधन सब अलग थे। ऐसे में विश्व कल्याण की भावना के साथ जिस संस्था का गठन हुआ, वो भी उस समय के हिसाब से ही थी। आज हम बिल्कुल अलग दौर में हैं। 21वीं सदी में हमारे वर्तमान की, भविष्य की आवश्यकताएं और चुनौतियां अलग हैं। आज पूरे विश्व समुदाय के सामने एक बहुत बड़ा सवाल है कि जिस संस्था का गठन तबकी परिस्थतियों में हुआ था, वह आज भी प्रासंगिक है। सब बदल जाए और हम ना बदलें तो बदलाव लाने की ताकत भी कमजोर हो जाती है।
मोदी ने कहा, ’75 साल में संयुक्त राष्ट्र ( United Nations )की उपलब्धियों को मूल्यांकन करें, तो तमाम उपलब्धियां हैं। लेकिन, कई उदाहरण हैं, जो गंभीर आत्ममंथन की आवश्यकता खड़ी करते हैं। कहने को तो तृतीय विश्वयुद्ध नहीं हुआ। पर अनेकों युद्ध हुए, गृह युद्ध हुए, आतंकी हमलों ने दुनिया को थर्रा कर रख दिया, खून की नदियां बहती रहीं। इन हमलों में जो मारे गए, वो हमारे आपकी तरह इंसान ही थे। वो लाखों मासूम बच्चे, जिन्हें दुनिया पर छा जाना था, वो दुनिया छोड़कर चले गए। कितने ही लोगों को अपने जीवन भर की पूंजी गंवानी पड़ी, घर छोड़ना पड़ा। आज ऐसे में संयुक्त राष्ट्र के प्रयास क्या पर्याप्त थे।
वैश्विक महामारी कोरोना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया 8-9 महीने से संघर्ष कर रही है। इस महामारी से निबटने के लिए संयुक्त राष्ट्र ( United Nations )का प्रभावशाली नेतृत्व कहां है। महामारी के मुश्किल समय में भी भारत के औषधि उद्योग ने 150 देशों को दवाइयां भेजी हैं। मोदी ने वैश्विक समुदाय को आश्वस्त कि कि भारत की टीका उत्पादन और अदायगी की क्षमता पूरी मानवता को इस संकट से बाहर निकालने के काम आयेगी। हम भारत में और अपने पड़ोस में तीसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल पर बढ़ रहे हैं। टीके की अदायगी के लिए कोल्ड चेन और स्टोरेज की क्षमता बढ़ाने में भारत सभी की मदद करेगा।
मोदी ने कहा, संयुक्त राष्ट्र ( United Nations )की व्यवस्था, प्रक्रिया में बदलाव आज समय की मांग है। भारत के लोग संयुक्त राष्ट्र के रिफॉर्म को लेकर चल रही प्रॉसेस के पूरा होने का लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। आखिर कब तक भारत को संयुक्त राष्ट्र के डिसीजन मेकिंग स्ट्रक्चर से अलग रखा जाएगा। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र, विश्व की 18 फीसदी से ज्यादा जनसंख्या, सैकड़ों भाषाओं-बोलियों, अनेकों पंथ, अनेकों विचारधारा वाला देश। जो देश वैश्विक अर्थव्यवस्था का नेतृत्व सैकड़ों वर्षों तक करता रहा और सैकड़ों साल तक गुलाम रहा। जब हम मजबूत थे तो सताया नहीं, जब मजबूर थे तो बोझ नहीं बने।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, जिन आदर्शों के साथ संयुक्त राष्ट्र का गठन हुआ, उससे भारत की दार्शनिक सोच बहुत मिलती है। इसी हॉल में ये शब्द अनेकों बार गूंजा है कि वसुधैव कुटुंबकम। हम पूरे विश्व को परिवार मानते हैं। ये हमारी संस्कृति, संस्कार और सोच का हिस्सा है। भारत ने हमेशा विश्वकल्याण को ही प्राथमिकता दी है। हमने शांति की स्थापना के लिए 50 पीस कीपिंग मिशन में अपने जांबाज भेजे। हमने शांति की स्थापना में अपने सबसे ज्यादा वीर सैनिकों को खोया है। आज हर भारतवासी संयुक्त राष्ट्र में अपने योगदान, भूमिका को देख रहा है।
It has been 75 years since the @UN was formed.
The world of 2020 is vastly different from the world of 1945. What was relevant then is not necessarily relevant now.
UN has achieved much in these years but this is also a time to think about the path ahead. pic.twitter.com/h2x2LLUf3y
— Narendra Modi (@narendramodi) September 26, 2020