नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग ( Shaheen Bagh )में हुए विरोध-प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court) ने बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि विरोध-प्रदर्शनों के लिए शाहीन बाग जैसे सार्वजनिक स्थलों पर कब्जा करना स्वीकार्य नहीं है। कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर अनिश्चितकाल तक कब्जा नहीं किया जा सकता, जैसा कि शाहीन बाग ( Shaheen Bagh ) में विरोध प्रदर्शन के दौरान हुआ। कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रदर्शन निर्धारित जगह या इलाकों में होना चाहिए।
नागरिकता संशोधन कानून ( Citizenship Amendment Act )के खिलाफ हुए शाहीन बाग आंदोलन पर कोर्ट ने यह भी कहा कि शाहीन बाग इलाके से लोगों को हटाने के लिए दिल्ली पुलिस (Delhi Police)को कार्रवाई करनी चाहिए थी। प्राधिकारियों को खुद कार्रवाई करनी होगी और वे अदालतों के पीछे छिप नहीं सकते। कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर विरोध करने का अधिकार पूर्ण नहीं है और सार्वजनिक स्थानों पर इस तरह के विरोध प्रदर्शनों के लिए अनिश्चित काल तक कब्जा नहीं किया जा सकता है।
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court) की न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यीय न्यायिक पीठ ने फैसला सुनाया और कहा कि लोकतंत्र और असहमति साथ-साथ चलते हैं, मगर प्रदर्शन डेजिनेटेड इलाकों (जहां प्रदर्शन के लिए जगह तय या निर्धारित हों ) में ही होना चाहिए।सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एसके कौल, अनिरुद्ध बोस और कृष्ण मुरारी की बेंच द्वारा यह फैसला दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court) का यह फैसला उस याचिका पर आया है, जब अधिवक्ता अमित साहनी ने फरवरी में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शनकारियों द्वार बंद कालिंदी कुंज-शाहीन बाग ( Shaheen Bagh )मार्ग को खोलने की मांग की थी।
दिल्ली के शाहीन बाग ( Shaheen Bagh )में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ 14 दिसंबर से प्रदर्शन शुरू हुआ था जो 3 महीने से ज्यादा चला। सुप्रीम कोर्ट ने 17 फरवरी को सीनियर वकील संजय हेगडे और साधना रामचंद्रन को जिम्मेदारी दी कि प्रदर्शनकारियों से बात कर कोई समाधान निकालें, लेकिन कई राउंड की चर्चा के बाद भी बात नहीं बन पाई थी। बाद में कोरोना के चलते लॉकडाउन होने पर 24 मार्च को प्रदर्शन बंद हो पाया था।