केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ( Ram Vilas Paswan ) का गुरुवार को 74 साल की उम्र में निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। इस बात की जानकारी उनके बेटे चिराग पासवान ने ट्वीट करके दी। रामविलास पासवान नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में उपभोक्ता मामलों और खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। उनके निधन पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई दिग्गज नेताओं ने शोक जताया है।
लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक, पूर्व अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ( Ram Vilas Paswan )भारतीय दलित राजनीति के प्रमुख नेताओं में से एक थे। पासवान का जन्म 5 जुलाई 1946 को बिहार (Bihar ) के खगड़िया जिले के शहरबन्नी गांव में हुआ था। वह एक अनुसूचित जाति परिवार में पैदा हुए थे। उनके पिता का नाम जामुन पासवान और माता का नाम सिया देवी था। पासवान ने कोसी कॉलेज, पिल्खी और पटना विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक और मास्टर ऑफ आर्ट्स की डिग्री हासिल की थी। उन्हें 1969 में बिहार पुलिस में डीएसपी के रूप में उन्हें चुना गया था।
रामविलास पासवान मंझे हुए राजनेताओं में से एक थे। वे एक ऐसे कद्दावर नेता थे जिनके साथ छह प्रधानमंत्रियों की कैबिनेट में मंत्री के तौर पर काम करने की शानदार उपलब्धि जुड़ी है। वे चुनावी माहौल को भांपकर बता देते थे की जीत किसकी होने वाली है।
रामविलास पासवान ( Ram Vilas Paswan )के राजनीतिक सफर की शुरुआत 1960 के दशक में बिहार विधानसभा के सदस्य के तौर पर हुई और आपातकाल के बाद 1977 के लोकसभा चुनावों से वह तब सुर्खियों में आए, जब उन्होंने हाजीपुर सीट पर चार लाख मतों के रिकार्ड अंतर से जीत हासिल की।
पासवान 1969 में एक आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र से संयुक्त सोशलिस्ट यूनाइटेड सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य के रूप में बिहार राज्य विधान सभा के लिए चुने गए थे। 1974 में राज नारायण और जयप्रकाश नारायण के सानिध्य में लोकदल के महासचिव बने। वे व्यक्तिगत रूप से राज नारायण, कर्पूरी ठाकुर और सत्येंद्र नारायण सिन्हा जैसे आपातकाल के प्रमुख नेताओं के करीबी थे। पासवान मोरारजी देसाई के साथ होकर लोकबंधु राज नारायण के नेतृत्व में जनता पार्टी-सेक्युलर में शामिल हुए।
पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘श्री राम विलास पासवान( Ram Vilas Paswan ) जी ने कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के माध्यम से राजनीति में कदम रखा। एक युवा नेता के रूप में, उन्होंने आपातकाल के दौरान अत्याचार और हमारे लोकतंत्र पर हमले का विरोध किया। वह एक उत्कृष्ट सांसद और मंत्री थे, जिन्होंने कई नीतिगत क्षेत्रों में स्थायी योगदान दिया।’ उन्होंने कहा कि राम विलास पासवान जी का निधन एक व्यक्तिगत क्षति है। मैंने एक दोस्त, मूल्यवान सहयोगी को खो दिया है, जो हर गरीब व्यक्ति को यह सुनिश्चित करने के लिए बेहद भावुक था कि वह गरिमा का जीवन जीते हैं।