आंध्र प्रदेश (Andhra-Pradesh ) के मुख्यमंत्री वाई.एस जगन मोहन रेड्डी (Jagan Mohan Reddy) को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग करते हुए दो अधिवक्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court) में जनहित याचिका दायर की है।
इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एनवी रमन्ना के खिलाफ सीएम जगन मोहन रेड्डी की कथित टिप्पणियों को लेकर अदालत से उन्हें हटाए जाने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है।याचिका में आगे कहा गया है कि जगन मोहन रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट के जज एनवी रमना के खिलाफ 6 अक्टूबर 2020 को सीजेआई को एक आधिकारिक पत्र भेजने के बाद सार्वजनिक और मीडिया में जस्टिस एनवी रमन्ना ( Justice NV Ramana ) और हाई कोर्ट के जजों पर आंध्र प्रदेश राज्य के मामलों में कथित प्रभाव और भागीदारी का आरोप लगाया जो कि अपने पद का दुरुपयोग है।
सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court) के वकील जीएस मणि और प्रदीप कुमार यादव ने कहा है कि जगनमोहन रेड्डी (Jagan Mohan Reddy) पर मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार सहित 30 से अधिक आपराधिक मामले हैं जो प्रकृति में बहुत गंभीर हैं। आंध्र प्रदेश के सीएम के रूप में अपनी शक्ति और पद का दुरुपयोग करके अदालत से व्यक्तिगत लाभ या राहत प्राप्त करने के लिए, खुले तौर पर झूठी और अपमानजनक टिप्पणी की गई है।
बता दें कि मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी (Jagan Mohan Reddy) ने हाल ही में भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे को एक चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी में रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश और संभवत: अगले मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना पर आरोप लगाते हुए लिखा था कि वह आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के कामकाज में दखल देते हैं।
रेड्डी ने इस चिट्ठी में लिखा था, ‘टीडीपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू से जस्टिस रमन्ना की नजदीकी जगजाहिर है। वह हाईकोर्ट की बैठकों को प्रभावित करते हैं। इसमें कुछ जजों के रोस्टर भी शामिल हैं। टीडीपी से जुड़े अहम मामलों में सुनवाई का काम ‘कुछ माननीय न्यायाधीशों’ को ही आवंटित किया गया है।’