उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh) में आलू ( Potato ) और प्याज के भाव लगातार ऊपर चढ़ रहे हैं। गोदामों में अब भी आलू भरा पड़ा है, लेकिन शासन-प्रशासन दाम नियंत्रित करने में असफल साबित हो रहा है। आसमान छूती कीमतों की मुख्य वजहों में से एक आलू व प्याज को आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम (ईसी एक्ट) को बाहर करना माना जा रहा है। इसका खामियाजा आम ग्राहकों को भुगतना पड़ रहा है।
आलू-प्याज को आवश्यक वस्तु अधिनियम से बाहर कर दिए जाने से अब व्यापारी कितनी भी मात्रा स्टॉक कर सकते हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकती है। इसलिए शासन से दाम नियंत्रण के लिए बार-बार निर्देश जाने के बावजूद जिला प्रशासन प्रभावी कार्रवाई नहीं कर पा रहा है।आलू के भाव तो रिकार्ड ऊंचाई पर जा पहुंचे हैं। ऐसे में निम्न-मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं में बेचैनी बढ़ गई है। गरीबों को अब आलू के साथ ही अन्य हरी सब्जी खाना मुश्किल साबित हो रहा है।
उद्यान निदेशालय के रिकॉर्ड के मुताबिक, अभी कोल्ड स्टोरेज में 30.56 लाख मीट्रिक टन आलू है। इसमें से 8 लाख मीट्रिक टन आलू ही बीज के रूप में इस्तेमाल होगा, क्योंकि ज्यादातर बोआई हो चुकी है। यानी कोल्ड स्टोरेज में खाने के लिए अब भी करीब 22 लाख मीट्रिक टन आलू ( Potato ) उपलब्ध है।नई फसल भी शीघ्र आने वाली है।
नवंबर में यूपी का अपना नया आलू आने तक बमुश्किल 10 लाख मीट्रिक टन आलू की ही खपत होगी। इसके बावजूद दाम नीचे नहीं आ रहे हैं। अभी पुराने आलू के खुदरा दाम 45-50 रुपये किग्रा और कर्नाटक से आ रहा नया आलू 60 रुपये किग्रा है।
अपर मुख्य सचिव, उद्यान मनोज सिंह ने सभी कोल्ड स्टोरेज में 31 अक्तूबर के बाद कूलिंग मशीनें न चलाने और पुराने आलू की निकासी के निर्देश दिए हैं। इसके बावजूद अधिक भंडारण की समस्या से निजात नहीं मिल पा रही।
आगरा( AGRA) के आलू उत्पादक बताते है अभी आलू किसान भी बीज के लिए आलू ( Potato ) खरीद रहा है। सारा आलू व्यापारियों के हाथ में है, इसलिए किसानों और आम ग्राहकों, दोनों को आलू महंगा मिल रहा है। जैसे ही किसान के पास अपना आलू बिक्री के लिए होगा, इसके दाम गिरा दिए जाएंगे। किसान कहते हैं कि जमाखोरी के कारण दाम तेजी से चढ़ रहे हैं।