वाराणसी (Varanasi) के ठगों देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ( Prime Minister Narendra Modi ) को भी नहीं छोड़ा , उनके ही संसदीय क्षेत्र वाराणसी (Varanasi) में प्रधानमंत्री के नाम पर आदर्श नरेंद्र दामोदर दास मोदी जन कल्याणकारी ट्रस्ट बनाकर फर्जीवाड़े करने का मामला सामने आया है। फर्जीवाड़े के लिए ट्रस्ट को निबंधन कार्यालय में रजिस्टर्ड भी कराया गया। प्रकरण को लेकर उप निबंधक सदर द्वितीय हरीश चतुर्वेदी की तहरीर के आधार पर कैंट थाने में दस लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
वाराणसी (Varanasi) पुलिस ने शुक्रवार को इस मामले में ट्रस्ट के अध्यक्ष कबीर नगर, दुर्गाकुंड निवासी अजय पांडेय व उसके चाचा बलिया जिले के बैरिया के रवींद्रनाथ पांडेय और दोस्त अर्दली बाजार निवासी शाहबाज खान को गिरफ्तार कर अन्य सात नामजद आरोपियों की तलाश कर रही है। रवींद्रनाथ और शाहबाज ने खुद को पुलिस की पूछताछ में तथाकथित पत्रकार बताया।
उप निबंधक सदर द्वितीय के अनुसार दुर्गाकुंड क्षेत्र के कबीर नगर निवासी अजय पांडेय ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Modi )के नाम से जनकल्याणकारी ट्रस्ट बीती 14 जुलाई को पंजीकृत कराया था। इसके लिए अजय ने मई महीने में आवेदन किया था। कुछ शिकायतें मिलने पर जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा के निर्देश पर कागजात की जांच की गई तो अजय का फर्जीवाड़ा उजागर हुआ।
इसके बाद सभी के खिलाफ धोखाधड़ी सहित अन्य आरोपों में मुकदमा दर्ज कराया गया। अजय पांडेय, उसके चाचा रवींद्रनाथ व दोस्त शाहबाज खान के अलावा वाराणसी का प्रदीप कुमार सिंह, नवलपुर बसही का सोनू कुमार गुप्ता, महागांव गरथमा का विकास मिश्रा, सरसौली कैंट की प्रिया श्रीवास्तव, हुकुलगंज कैंट का अनिल, अनेई की रंजीता सिंह और बलिया के बेलहरी का अविनाश सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
आरओ बेचने का काम करने वाले स्नातक उत्तीर्ण अजय ने प्रधानमंत्री ( PM Modi )के नाम से ट्रस्ट रजिस्टर्ड करा लिया तो लगभग 50 सांसद, डीएम आफिस और मुख्यमंत्री ऑफिस को आर्थिक अनुदान के लिए चिट्ठियां भेजनी शुरू की। उसका कहना था कि वह आदर्श नरेंद्र दामोदर दास मोदी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय, वाराणसी खोलना चाह रहा है और वह इसका कुलपति है।
इसके लिए तत्काल पिंडरा क्षेत्र में 190 बीघा जमीन आवंटित की जाए और 1000 करोड़ रुपये का आर्थिक अनुदान दिया जाए। अन्यथा की स्थिति में वह प्रधानमंत्री/ गृह मंत्री के कार्यालय में शिकायत करने के साथ ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करेगा कि उसे जनसरोकार से जुड़े काम में सहयोग नहीं मिल रहा है। अजय के धमकी भरे पत्र को जिलाधिकारी ने गंभीरता से लेकर जांच कराई तो फर्जीवाड़ा उजागर हुआ।