
महाराष्ट्र ( Maharashtra ) की मुंबई पुलिस ने बुधवार सुबह रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी ( Arnab Goswami ) पर कार्रवाई की। अर्नब गोस्वामी को एक इंटीरियर डिजाइनर की आत्महत्या से जुड़े दो साल पुराने मामले में गिरफ्तार किया है। यह मामला पहले बंद हो गया था, लेकिन पिछले दिनों इस मामले में फिर से जांच के आदेश दे दिए गए।भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा (Sambit Patra ) ने इस मामले को लेकर प्रेस कांफ्रेंस की।
अर्नब ने मुंबई पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए है। उनको मारा गया है, ऐसा भी आरोप अर्नब ने मुंबई पुलिस पर लगाया है। वहीं, अर्नब ( Arnab Goswami ) की गिरफ्तारी के बाद से ही केंद्र में तमाम मंत्री उनके समर्थन में आ गए और महाराष्ट्र सरकार को निशाने पर लिया। यहां तक की अर्नब की गिरफ्तारी पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ( Amit Shah) ने भी ट्वीट किया और कांग्रेस और उसके सहयोगियों को निशाने पर लिया। अब भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा (Sambit Patra ) ने इस मामले को लेकर प्रेस कांफ्रेंस की।
संबित पात्रा (Sambit Patra ) ने कहा कि मुसोलिनी के दाहिने हाथ रह चुके पिता की पुत्री आज जिस प्रकार भारत में माफियाराज स्थापित कर रही है ये आप सबके सामने है। उन्होंने कहा, ‘सिर्फ किसी एक चैनल के नहीं, बल्कि सभी चैनलों के अधिकार के लिए आज हम आवाज उठा रहे हैं। मां-बेटे की माफिया सरकार ने सिर्फ प्रेस के ऊपर ही आघात नहीं किया, बल्कि जब इनके पक्ष में फैसला नहीं आता तो ये मुख्य न्यायाधीश को भी नहीं छोड़ते।’
संबित पात्रा (Sambit Patra ) कहा कि एक तरफ सोनिया गांधी लेख लिखती हैं और कहती हैं कि ‘लोकतंत्र की हत्या हो रही है’ और राहुल गांधी लिखते हैं और कहते हैं कि वे ‘प्रेम की राजनीति’ करते हैं। क्या इस मामले में लोकतंत्र की हत्या नहीं की जा रही है? क्या यह प्रेम की राजनीति है?
पात्रा(Sambit Patra ) ने कांग्रेस (Congress ) पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि कंधा तो शिवसेना का है, मगर वो बंदूक, बारूद और सारा कुछ, उन मां-बेटे का है जो हिंदुस्तान में लोकतंत्र को समाप्त करने के लिए लड़ रहे हैं।
बीजेपी प्रवक्ता ने कहा, कोरोना महामारी के दौरान, जब हम लड़ रहे हैं, हमने महाराष्ट्र में एक ऐसी सरकार बनाई है जो पत्रकारों को गिरफ्तार कर रही है, खासकर उन लोगों को जिन्होंने COVID महामारी के दौरान महाराष्ट्र सरकार पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा कि जब राजीव गांधी आईएनएस विराट से लक्षद्वीप की छुट्टी पर गए थे, तब इंडियन एक्सप्रेस ने कहानी छापी थी। तब इंडियन एक्सप्रेस के साथ वैसा ही व्यवहार किया गया जैसा अभी महाराष्ट्र सरकार द्वारा पत्रकारों के साथ किया जा रहा है।