
सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court) के बारे मे अपमानजनक ट्वीट करने वाले कथित कॉमेडियन कुणाल कामरा (Kunal Kamra )की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल (Attorney General KK Venugopal )ने कोर्ट के बारे में किये गए कुणाल कामरा के ट्वीट्स को न्यायालय की अवमानना मानते हुए उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही की सहमति दे दी है। कुछ वकीलों सहित कुल आठ लोगो ने कामरा (Kunal Kamra )के ट्वीट्स को सुप्रीम कोर्ट की अवमानना बताते हुए अटार्नी जनरल से उसके खिलाफ अवमानना कार्यवाही के लिए सहमति मांगी थी। अटार्नी जनरल की सहमति मिलने के बाद ये लोग कामरा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल कर सकते हैं।
न्यायालय की अवमानना कानून के मुताबिक किसी व्यक्ति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में क्रिमनल अवमानना की याचिका दाखिल करने के लिए अटार्नी जनरल या सालिसिटर जनरल की सहमति चाहिए होती है। या फिर किसी मामले पर कोर्ट स्वयं संज्ञान लेकर क्रिमनल अवमानना की कार्यवाही शुरू कर सकता है। कुणाल कामरा (Kunal Kamra )ने 11 नवंबर बुधवार को अर्नब गोस्वामी ( Arnab Goswami ) को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने के बाद कई ट्वीट किये थे जिनमें सुप्रीम कोर्ट और न्यायाधीश के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की गई थी।
कामरा के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए सहमति मांगते हुए श्रीरंग कात्नेश्वरकर ने अटार्नी जनरल को कामरा (Kunal Kamra ) के सुप्रीम कोर्ट और न्यायाधीश के बारे में किये गए अपमानजनक सभी छह – सात ट्वीट्स का हवाला दिया था। कात्नेश्वरकर ने अटार्नी जनरल को अवमानना कार्यवाही शुरू करने की सहमति मांगने वाला पत्र 11 नवंबर को ही भेज दिया था जिसका गुरुवार 12 नवंबर को जवाब देते हुए अटार्नी जनरल ने कामरा के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए अपनी सहमति दे दी है।
अटार्नी जनरल ने सहमति देने वाले पत्र में कामरा के सुप्रीम कोर्ट के बारे में किये गए तीन ट्वीट्स को सीधे अवमाननापूर्ण माना है और जिसके कारण उन्होने अवमानना कार्यवाही की सहमति दी है। इसके अलावा अन्य ट्वीट्स को भी अटार्नी जनरल ने आपत्तिजनक मानते हुए कहा है कि इनके बारे में कोर्ट तय करेगा कि ये सुप्रीम कोर्ट की अवमानना हैं कि नहीं।
अटार्नी जनरल ने पत्र में कहा है कि आजकल लोग समझने लगे हैं कि अभिव्यक्ति की आजादी के तहत बेधड़क ढिठाई से सुप्रीम कोर्ट और उसके न्यायाधीशों की निंदा कर सकते हैं। लेकिन संविधान में अभिव्यक्ति की आजादी अवमानना कानून के अधीन है। अटार्नी जनरल ने कहा कि अब समय आ गया है कि लोग यह समझें कि अनुचित ढंग से और ढिठाई से सुप्रीम कोर्ट पर हमला करने से न्यायालय की अवमानना कानून के तहत सजा मिलेगी।