
पश्चिम बंगाल ( West Bengal) में विधानसभा चुनाव पहले सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ( TMC ) को झटका लगा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और परिवहन मंत्री शुभेंदु अधिकारी ( Suvendu Adhikari )ने शुक्रवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। ऐसी अटकले हैं कि वे भाजपा में शामिल हो सकते हैं। लेकिन यह सच है कि टीएमसी में कई नेता बागी सुर अपना रहे हैं।
इससे पहले उन्होंने सरकारी निगम के पद से इस्तीफा दिया था। कई महीने से विद्रोही रुख दिखा रहे अधिकारी ने खुद को मनाने के लिए की जा रही कोशिशों के बीच अचानक हुगली रिवर ब्रिज कमिश्नरेट (एचआरबीसी) के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया था। पार्टी ने भी उनके इस्तीफे को स्वीकार कर लिया था।
दरअसल टीएमसी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ( Mamata Banerjee ) ने बुधवार को बांकुरा में आयोजित एक रैली में खुद को राज्य के सभी जिलों का इकलौता पार्टी ऑब्जर्वर घोषित किया था। सुवेंदु ( Suvendu Adhikari )के करीबी सूत्रों के मुताबिक, कई जिलों में ऑब्जर्वर की भी जिम्मेदारी संभाल रहे अधिकारी को ममता की घोषणा पसंद नहीं आई है और उन्होंने इस्तीफा देकर अपना मौन विरोध प्रकट किया है।
शुभेंदु ( Suvendu Adhikari )ने ऐसे समय पर इस्तीफा दिया है जब उनके पाला बदलने को लेकर अटकलें लग रही हैं। ममता बनर्जी के सबसे करीबी माने जाने वाले दिग्गज टीएमसी नेता शुभेंदु अधिकारी करीब 20 सीटें पर अच्छा प्रभाव रखते हैं। राजनीतिक गलियारों में कई दिनों से चर्चा है कि पूर्वी मिदनापुर जिले से आने वाले शुभेंदु अधिकारी टीएमसी से नाराज चल रहे हैं और ऐसे में वह पार्टी का साथ छोड़कर भाजपा में भी शामिल हो सकते हैं। फिलहाल, शुभेंदु अपना सियासी पत्ता नहीं खोल रहे हैं।
कभी नंदीग्राम में ममता बनर्जी के लिए सिपाही की भूमिका निभाने वाले शुभेंदु अधिकारी ( Suvendu Adhikari )आखिर अब बागी क्यों हो गए हैं? ऐसा क्या हो गया है कि वो लगातार पार्टी बीते कुछ समय से पार्टी के खिलाफ अप्रत्यक्ष तौर पर आवाज बुलंद कर रहे हैं? क्यों टीएमसी उन्हें मनाने में जुटी है? ऐसे कई सवाल हैं जो न सिर्फ बंगाल, बल्कि देश की राजनीतिक गलियारों में भी तैर ही हैं। दरअसल, शुभेंदु बंगाल में काफी ताकतवर राजनीतिक परिवार से आते हैं। उनका प्रभाव न सिर्फ उनके क्षेत्र पर है, बल्कि पूर्वी मिदनापुर के अलावा आस-पास के जिलों में भी उनका राजनीतिक दबदबा है।