देश की दिग्गज मसाला कंपनी महाशिया दी हट्टी (MDH) एमडीएच के मालिक ‘महाशय’ धर्मपाल गुलाटी (Dharampal Gulati ) का गुरुवार सुबह निधन हो गया है। वे 98 साल के थे। खबरों के मुताबिक, गुलाटी का पिछले तीन हफ्तों से दिल्ली के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था। गुरुवार सुबह उन्हें दिल का दौरा पड़ा। उन्होंने सुबह 5:38 बजे अंतिम सांस ली। इससे पहले वे कोरोना से संक्रमित हो गए थे। हालांकि बाद में वे ठीक हो गए थे।
व्यापार और उद्योग में उल्लेखनीय योगदान देने के लिए पिछले साल उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने पद्मभूषण से नवाजा था।
‘दादजी’, ‘मसाला किंग’, ‘किंग ऑफ स्पाइसेज’ और ‘महाशयजी’ के नाम से मशहूर एमडीएच (MDH) के मालिक धरमपाल गुलाटी (Dharampal Gulati ) का जन्म 1923 में पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था। स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़ने वाले धर्मपाल गुलाटी शुरुआती दिनों में अपने पिता के मसाले के व्यवसाय में शामिल हो गए थे। 1947 में विभाजन के बाद, धर्मपाल गुलाटी भारत आ गए और अमृतसर में एक शरणार्थी शिविर में रहे।तब उनके पास महज 1,500 रुपये थे। भारत आकर उन्होंने परिवार के भरण-पोषण के लिए तांगा चलाना शुरू किया। फिर जल्द ही उनके परिवार के पास इतनी संपत्ति जमा हो गई कि दिल्ली के करोल बाग स्थित अजमल खां रोड पर मसाले की एक दुकान खोली जा सके।
फिर वह दिल्ली आ गए थे और दिल्ली के करोल बाग में एक स्टोर खोला। गुलाटी ने 1959 में आधिकारिक तौर पर कंपनी की स्थापना की थी। यह व्यवसाय केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया में भी फैल गया। इससे गुलाटी (Dharampal Gulati ) भारतीय मसालों के एक वितरक और निर्यातक बन गए।
धर्मपाल गुलाटी (Dharampal Gulati ) सिर्फ कक्षा पांच तक पढ़े थे, लेकिन उन्होंने कारोबारी जगत में अपना लोहा मनवाया था। यूरोमॉनिटर के मुताबिक, धर्मपाल FMCG सेक्टर में सबसे ज्यादा कमाई करने वाले CEO थे। 2018 में उनकी सैलरी सालाना 25 करोड़ रुपए इन-हैंड थी। हालांकि, वह अपनी सैलरी का करीब 90% हिस्सा दान कर देते थे। उनको सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म भूषण भी सम्मानित किया जा चुका है।
गुलाटी की कंपनी एमडीएच (MDH) ब्रिटेन, यूरोप, यूएई, कनाडा आदि सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भारतीय मसालों का निर्यात करती है। 2019 में भारत सरकार ने उन्हें देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया था। एमडीएच मसाला के अनुसार, धर्मपाल गुलाटी (Dharampal Gulati ) अपने वेतन की लगभग 90 प्रतिशत राशि दान करते थे।