Friday, September 20, 2024

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अगर दोषसिद्धि पर रोक नहीं तो चुनाव लड़ने के योग्य नहीं दोषी

  (  ने बुधवार को कहा कि अगर किसी आपराधिक मामले में दोषी ठहराए गए व्यक्ति को दो साल या इससे ज्यादा की सजा होती है और अगर उसकी दोषसिद्धि पर रोक नहीं लगाई जाती है तो ऐसा व्यक्ति जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य है।

सुप्रीम कोर्ट   ( Supreme Court) ने 2019 के लोकसभा चुनाव में    )  के एर्नाकुलम संसदीय सीट पर सरिता एस नायर का नामांकन पत्र निरस्त करने के निर्वाचन अधिकारी के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर सुनाए गए फैसले पर यह टिप्पणी की। न्यायालय ने सरिता नायर की अपील खारिज कर दी।
निर्वाचन अधिकारी ने लोकसभा चुनाव में   Kerala ) में सौर घोटाले से संबंधित आपराधिक मामले में सरिता नायर को दोषी ठहराए जाने और उन्हें सजा होने के तथ्य के मद्देनजर उसका नामांकन पत्र निरस्त कर दिया था। इस सीट पर कांग्रेस के हिबी एडेन ने जीत हासिल की थी।

सरिता नायर ने वायनाड संसदीय सीट( Wayanad seat )पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए दाखिल नामांकन पत्र इसी आधार पर निरस्त किए जाने को चुनौती देते हुए एक अपील दायर की थी। अदालत ने उनकी इस अपील को दो नवंबर को खारिज कर दिया था।

  ( , न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यन की पीठ ने नायर की इस दलील को अस्वीकार कर दिया कि उसका नामांकन पत्र निरस्त करना गलत था, क्योंकि उसकी तीन साल की सजा को अपीलीय अदालत ने निलंबित कर दिया था।

पीठ ने कहा कि सजा के अमल का निलंबन दोषसिद्धि की स्थिति नहीं बदलता है और इसलिए ऐसा व्यक्ति चुनाव लड़ने के अयोग्य ही रहेगा। अदालत ने नायर का नामांकन निरस्त करने के निर्णय को सही ठहराते हुए कहा कि जब तक दोषसिद्धि पर रोक नहीं होगी, अयोग्यता प्रभावी रहेगी।

अदालत ने केरल हाईकोर्ट की इस व्यवस्था के लिए आलोचना की कि नायर की याचिका में तीन त्रुटियों (उचित सत्यापन, अधूरी प्रार्थना और पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ आरोप) का सुधार नहीं किया जा सकता था। अदालत ने कहा कि ये त्रुटियां सुधार योग्य थीं और याचिकाकर्ता को इन्हें दूर करने का अवसर दिया जाना चाहिए था।

न्यायालय ने कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(3) के प्रावधान से स्पष्ट है कि सजा के अमल पर रोक लगाना अयोग्यता के दायरे से बाहर निकलने के लिये पर्याप्त नहीं है। न्यायालय ने कहा कि सजा के अमल का निलंबन दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 389 के संदर्भ में पढ़ना होगा। इस प्रावधान के अंतर्गत सजा नहीं बल्कि सजा पर अमल निलंबित किया गया है।

 

Vijay Upadhyay

Vijay Upadhyay is a career journalist with 23 years of experience in various English & Hindi national dailies. He has worked with UNI, DD/AIR & The Pioneer, among other national newspapers. He currently heads the United News Room, a news agency engaged in providing local news content to national newspapers and television news channels