दिल्ली विधानसभा( Delhi Assembly ) में गुरुवार को एक दिन का विशेष सत्र बुलाया गया है। सदन( Delhi Assembly ) की कार्रवाई में देश की संसद द्वारा पारित राष्ट्रपति द्वारा लागू कानून की प्रतियों को दिल्ली, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) और विधायकों द्वारा फाड़ा गया।अब सवाल उठ रहा है कि देश की संसद द्वारा पारित राष्ट्रपति द्वारा लागू कानून की प्रतियों को विधानसभा में मुख्यमंत्री द्वारा फाड़ा जाना क्या संवैधानिक कृत्य है ?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने विधानसभा में उन्होंने तीनों कृषि कानूनों की कॉपियों को फाड़ दिया। केजरीवाल ने केंद्र से ‘काले कानूनों’ को वापस लेने की अपील करते हुए कहा कि सरकार अंग्रेजों से बदतर न बने। अंग्रेजों ने तो 9 महीने में बिल वापस ले लिए थे।इसके बाद विधानसभा सदस्यों ने ‘जय जवान, जय किसान’ के नारे लगाए।
सीएम केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने केंद्र के तीनों नए कृषि कानूनों की प्रतियां फाड़ते हुए कहा कि वह किसानों के साथ विश्वासघात नहीं कर सकते हैं।उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा में आज तीन काले कानूनों को ख़ारिज किया गया है और केंद्र सरकार से अपील की है कि इन्हें वापस ले।उन्होंने कहा कि हमारे किसान ठंड में सो रहे हैं।सरकार कह रही है कि वह किसानों से मिल रही है और उन्हें इन कानूनों के लाभ बताने की कोशिश कर रही है। यूपी के सीएम ने कहा कि किसानों को यह बिल लाभ पहुंचाएगा क्योंकि यह किसानों से उसकी जमीन नहीं छीनेगा। क्या यह फायदा है?
सदन ( Delhi Assembly ) से बाहर आकर पत्रकार वार्ता के दौरान सीएम केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली विधानसभा ( Delhi Assembly ) ने तीनों कानूनों को खारिज कर दिया है और केंद्र सरकार से अपील करते हैं कि उन्हें ये कानून वापस लेने चाहिए। प्रदर्शन के दौरान 20 दिन में 20 से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है। औसत के अनुसार हर रोज एक किसान इस आंदोलन में शहीद हो रहा है।
भारतीय जनता पार्टी ( BJP ) ने मुख्यमंत्री के कृत्य को ‘शर्मनाक’ और कृषि कानूनों पर आम आदमी पार्टी का ‘दोहरा रवैया’ बताया है। पार्टी प्रवक्ता नवीन कुमार जिंदल ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने भारत के संविधान का अपमान किया है। एक मुख्यमंत्री जो पहले तो 23 नवंबर को इन्हीं कृषि कानूनों को प्रदेश में लागू करते हैं, वहीं 17 दिसंबर को सदन के पटल पर इसकी कॉपी फाड़ते हैं। इससे पूरी दुनिया मेें भारत के लोकतंत्र का मजाक उड़ा है। उन्हें सस्ती लोकप्रियता से बचना चाहिए और अपने संवैधानिक दायित्व को समझना चाहिए।
उन्होंने कहा कि किसान हितैषी बनने वाले केजरीवाल के राज्य में केवल 6 किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ उठाया है। उन्हें बताना चाहिए कि उनकी योजनाओं का लाभ कितने किसानों को मिल रहा है।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर कृषि कानूनों की प्रतियां फाड कर ‘‘घटिया नाटक’’ करने का बृहस्पतिवार को आरोप लगाया। हरसिमरत ने कहा कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार कृषि से जुड़े केन्द्र सरकार के कानूनों में से एक को अधिसूचित करने वाली सरकारों में अव्वल थी। दिल्ली विधानसभा में केन्द्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ बृहस्पतिवार को एक प्रस्ताव पारित किया गया, इस दौरान केजरीवाल ने कानूनों की प्रतियां फाडीं और कहा कि वह देश के किसानों को धोखा नहीं दे सकते। बादल ने यहां एक बयान जारी करके कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री को ‘ड्रामेबाज’कहा जाता था लेकिन इस बार उन्होंने विधानसभा में कुछ कानूनों की प्रतियों को फाड कर ‘‘ घटिया नाटक’’ किया और ‘‘अनोखा पाखंड’’ दिखाया है , जिसमें से एक को उन्होंने 23 नवंबर को अधिसूचित किया था। laws