पश्चिम बंगाल ( West Bengal) में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ( Mamata Banerjee ) को लगातार झटके लग रहे हैं। एक ओर उनकी पार्टी के दिग्गज नेता उन्हें छोड़कर जा रहे हैं, तो दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court) से भी उन्हें शुक्रवार को झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी ( BJP )के दो वरिष्ठ नेताओं कैलाश विजयवर्गीय ( Kailash Vijayvargiya )और सांसद अर्जुन सिंह ( Arjun Singh ) सहित तीन अन्य नेताओं को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ किसी भी प्रकार की पुलिसिया कार्रवाई पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार को इस संबंध में नोटिस भी जारी किया है और भाजपा नेताओं पर दर्ज अपराधिक मामलों के बारे में जानकारी मांगी है।
दरअसल, कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से दायर मामलों के सिलसिले में दोनों को गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया है। वहीं, शीर्ष अदालत ने ममता बनर्जी ( Mamata Banerjee ) की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस सरकार से भाजपा नेताओं की याचिका पर जवाब मांगा है। याचिका में भाजपा नेताओं पर पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगाया है।
बीजेपी के याचिकाकर्ता नेताओं अर्जुन सिंह, कैलाश विजयवर्गीय, मुकुल रॉय, सौरभ सिंह, पवन कुमार सिंह और कबीर शंकर बोस ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी ( Mamata Banerjee ) सरकार ने उनपर फर्जी मामले लगाए हैं और राज्य में एक आतंकी राज कायम किया है। नेताओं ने जोर देकर कहा कि अगले साल होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव को देखते हुए उनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं। न्यायमूर्ति एस. के. कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने अगले साल की शुरूआत में राज्य में होने वाले विधान सभा चुनावों की पृष्ठभूमि में इन मामलों को राजनीतिक प्रतिशोध करार देने के भाजपा नेताओं के आरोपों पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
बीजेपी सांसद अर्जुन सिंह का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने पीठ के सामने कहा कि 2019 में तृणमूल कांग्रेस ( TMC ) छोड़ने के बाद उनके मुवक्किल पर 64 मामले दर्ज किए गए हैं। रोहतगी ने जोर देकर कहा कि इन मामलों को उनके मुवक्किल पर इसलिए लगाया गया कि वे अगले साल फरवरी या मार्च में होने वाले चुनावों में राजनीतिक गतिविधि में हिस्सा नहीं ले सके। विजयवर्गीय के वकील ने पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि उनके मुवक्किल पश्चिम बंगाल में नहीं रहते हैं और उन्हें पश्चिम बंगाल में आने से रोकने के लिए उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।