आयकर विभाग ( income tax department )ने रविवार को पंजाब (Punjab) के 10 से ज्यादा आढ़तियों के ठिकानों पर छापे डाले है। राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इसकी आलोचना की और कहा कि यह आंदोलनकारी किसानों की हिमायत कर रहे आढ़तियों को डराने-धमकाने की केंद्र की चाल है। उन्होंने चेतावनी दी है कि ऐसे घृणित तरीके से केंद्र के खिलाफ लोगों के गुस्से में और बढ़ोतरी होगी।
सीआरपीएफ की दो बसें भरकर जवानों के साथ रातभर जिन आढ़तियों के ठिकानों पर दबिश दी गई, उनमें विजय कालड़ा (प्रधान पंजाब आढ़तिया एसोसिएशन), पवन कुमार गोयल (प्रधान समाना मंडी), जसविंदर सिंह राणा (पटियाला जिला प्रधान), मंजिंदर सिंह वालिया (प्रधान नवांशहर), हरदीप सिंह लड्डा (प्रधान राजपुरा), करतार सिंह और अमरीक सिंह (आढ़तिया राजपुरा) शामिल हैं। पंजाब (Punjab)के कुल 14 आढ़तियों को आयकर विभाग ( income tax department )की तरफ से नोटिस मिले हैं।
आयकर विभाग ( income tax department )की एक टीम ने शुक्रवार रात नवांशहर आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान मनजिंदर वालिया के व्यावसायिक कार्यालयों, दुकान व होटल पर छापा मारा। टीम उनके घर भी गई और वालिया को अपने साथ लिया। मामले में मनजिंदर वालिया ने कहा कि मैं आयकर विभाग टीम के साथ पूरा सहयोग कर रहा हूं।
कैप्टन ( Punjab Chief Minister )ने कहा कि यह स्पष्ट है कि केंद्र की तरफ से पंजाब (Punjab)के कुछ आढ़तियों के खिलाफ आयकर छापे सुनियोजित तरीके से किए जा रहे हैं, ताकि आढ़तियों को अपने लोकतांत्रिक अधिकारों और आजादी से रोकने के लिए दबाव बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि ऐसी दमनकारी नीतियां सत्ताधारी भाजपा को उलटी पड़ेंगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह स्पष्ट है कि काले कृषि कानूनों के खिलाफ लंबे समय से संघर्ष कर रहे किसानों को मनाने, गुमराह करने और बांटने में असफल रहने के बाद केंद्र सरकार ने अब संघर्ष को कमजोर करने के लिए आढ़तियों को निशाना बनाना शुरू किया है, जो पहले ही दिन से पूरी सक्रियता से किसानों के आंदोलन की हिमायत कर रहे हैं।
कैप्टन ने कहा कि पंजाब के कई बड़े आढ़तियों के ठिकानों पर नोटिस जारी करने के सिर्फ चार दिनों में ही यह कार्रवाई हुई, जबकि उनके नोटिस के जवाब का भी इंतजार नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई स्पष्ट करती है कि तय कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। यहां तक कि स्थानीय पुलिस को भी सूचना या भरोसे में नहीं लिया गया, जो आम विधि होती है। आईटी टीमों की दबिश के दौरान सुरक्षा प्रदान करने के लिए सीआरपीएफ की सहायता ली गई। मुख्यमंत्री ने पूछा कि यह बदलाखोरी की राजनीति का मामला नहीं है तो फिर क्या है।