उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh) के प्रयागराज (Prayagraj ) फुलपुर स्थित इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड (इफको) ( Indian Farmers Fertiliser Cooperative ) IFFCO में मंगलवार देर रात बड़ा हादसा हुआ। यहां यूरिया इकाई में अमोनिया गैस का रिसाव हो गया, जिसकी चपेट में आने से दो अफसरों समेत 14 लोगों की हालत बिगड़ गई। सभी को शहर के एक अस्पताल भेजा गया जहां असिस्टेंट मैनेजर वीपी सिंह व डिप्टी मैनेजर अभयनंदन की मौत हो गई। 12 अन्य को शहर स्थित अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
शहर से 30 किमी की दूरी पर जौनपुर-गोरखपुर मार्ग पर फूलपुर में स्थित इफको ( IFFCO ) में अमोनिया व यूरिया निर्माण की दो-दो इकाइयां हैं। रोज की तरह यहां मंगलवार को भी काम चल रहा था। रात 10 बजे से रात्रिकालीन शिफ्ट में तैनात कर्मचारी अलग-अलग इकाइयों में काम पर लगे हुए थे। 11.30 बजे के करीब यूरिया इकाई में अचानक अमोनिया गैस का रिसाव होने लगा। जिससे वहां अफरातफरी मच गई। ड्यूटी पर तैनात कर्मचारी निकलकर बाहर की ओर भागने लगे।
इस दौरान अन्य तो किसी तरह बाहर निकल गए लेकिन 14 लोग गैस की चपेट में आ गए जिससे उनकी हालत बिगडने लगी। इनमें से कई इकाई के भीतर ही बेसुध भी हो गए। सूचना पर कंपनी के अफसरों के साथ ही पुलिस भी आ गई। किसी तरह हताहत लोगों को फैक्ट्री से बाहर निकालकर शहर के एक अस्पताल ले जाया गया। इनमें से असिस्टेंट मैनेजर यूरिया वीपी सिंह व डिप्टी मैनेजर ऑफसाइट अभयनंदन कुमार पुत्र सूर्यनारायण की हालत बेहद गंभीर बनी हुई थी। अस्पताल में इलाज के दौरान कुछ घंटों बाद दोनों की मौत हो गई, जिससे वहां कोहराम मच गया।
इफको ( IFFCO )कंपनी के कई अफसर रात में ही अस्पताल भी पहुंच गए। गैस का रिसाव कैसे हुआ, इसका पता नहीं चल सका। लेकिन चर्चा रही कि यूरिया उत्पादन इकाई में किसी पंप में लीकेज की वजह से गैस का रिसाव हुआ। फिलहाल कंपनी के अफसरों का कहना है कि गैस रिसाव की असली वजह का पता जांच के बाद ही पता लग सकेगा। इफको ( IFFCO ) पीआरओ विश्वजीत श्रीवास्तव का कहना है कि हादसे में दो अफसरों की इलाज के दौरान अस्पताल में मौत हो गई। इनमें असिस्टेंट मैनेजर यूरिया व डिप्टी मैनेजर ऑफसाइट शामिल हैं। हताहत हुए 12 कर्मचारियों का इलाज अलग-अलग अस्पतालों में चल रहा है।
प्लाट के आसपास कई गाव हैं। ऐसे में अगर अमोनिया गैस फैलती तो कई गाव के लोग चपेट में आ जाते। ऐसे में हालत पर काबू पाना मुश्किल हो जाता। वह तो प्लाट में कार्य करने वाले कर्मचारियों की सूझबूझ का परिणाम था कि उन्होंने समय रहते प्लाट को बंद कर दिया।