इलाहाबाद हाईकोर्ट ( Allahabad High Court ) ने एटा( Etah )में अधिवक्ता राजेंद्र शर्मा( Rajendra Sharma )व उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ पुलिसिया बर्बरता का संज्ञान लेते हुए वहां के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को घटना की जांच कर आठ जनवरी तक पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने एटा के डीएम व एसएसपी को जांच में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट का सहयोग सहयोग और उनके द्वारा मांगे गए वांछित सभी प्रासंगिक तथ्य व दस्तावेज मुहैया कराने का निर्देश दिया है।
यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर एवं न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ ने यूपी बार कौंसिल और हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के महासचिव प्रभाशंकर मिश्र की ओर से भेजे गए पत्र पर संज्ञान लेते हुए दिया है। शीतकालीन अवकाश के दौरान बैठी विशेष खंडपीठ ने कहा कि उक्त पत्रों में वर्णित तथ्यों पर विचार करने के बाद यह कोर्ट मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एटा के माध्यम से घटना की पूरी रिपोर्ट मंगाना उचित समझती है। कोर्ट ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एटा ( Etah )को निर्देश दिया कि ऑडियो विजुअल इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों सहित सभी प्रासंगिक तथ्यों के सहारे आवश्यक जांच कर पूरी रिपोर्ट अगली तारीख या उससे पहले प्रस्तुत करें।
अदालत ने एटा के जिला प्रशासन को भी निर्देश दिया कि एटा ( Etah )के जिला मजिस्ट्रेट और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, सीजेएम का सहयोग करेंगे और आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराएंगे जिससे सीजेएम इस घटना की रिपोर्ट इस अदालत को पेश कर सकें।
खंडपीठ ने आदेश में कहा है कि राज्य के अधिवक्ताओं की सर्वोच्च वैधानिक संस्था बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश( UP Bar Council )ने 21 दिसंबर 2020 की इस घटना के संदर्भ में उचित कार्रवाई के अनुरोध के साथ मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र प्रेषित किया है। हाईकोर्ट बार के महासचिव प्रभाशंकर मिश्र ने पत्र और कुछ अन्य अधिवक्ताओं ने ई-मेल के माध्यम से इसी मुद्दे से संबंधित तथ्य मुख्य न्यायाधीश को भेजे हैं। बार कौंसिल के पत्र के अनुसार एडवोकेट राजेंद्र शर्मा को एटा में पुलिस ने बुरी तरह पीटा। उसके परिवार वालों व रिश्तेदारों को परेशान व अपमानित किया गया। सचिवालय द्वारा एक पत्र भी प्राप्त हुआ है।
इस प्रकरण में जुड़े एटा( Etah ) के सीनियर अधिवक्ता यदुवीर सिंह कहते हैं न्यायिक मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में साक्ष्यों के संकलन स्थलीय एवं दस्तावेजी सबूत इस प्रकरण सबकी भूमिका का पर्दाफाश कर देंगे उन्होंने कहा जिन साक्ष्यों को अनदेखा करके इकतरफा कार्यवाही की जा रही थी वह मनमानी हाईकोर्ट के इस दिशा निर्देश के बाद नही चल सकेगी।