गुवाहाटी उच्च न्यायालय( Gauhati High Court )ने गुरुवार को किसान नेता अखिल गोगोई (Akhil Gogoi ) की जमानत याचिका को खारिज करते हुए एनआईए की एक विशेष अदालत के फैसले को सही बताया। कोर्ट ने कहा कि अखिल गोगोई के नेतृत्व में 2019 में राज्य में जो संशोधित नागरिकता कानून ( CAA) विरोधी आंदोलन हुआ था वो अहिंसक सत्याग्रह नहीं था बल्कि वह गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम में परिभाषित आतंकवादी अधिनियम की परिभाषा के तहत आता है।
गुवाहाटी उच्च न्यायालय( Gauhati High Court ) के न्यायमूर्ति कल्याण राय सुराणा और न्यायमूर्ति अजीत बाठाकुर की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘हिंसा के इस्तेमाल से अपीलार्थी (अखिल गोगोई) (Akhil Gogoi ) के नेतृत्व में भीड़ ने अहिंसक विरोध प्रदर्शन या आंदोलन की महान अवधारणा को खारिज कर दिया था। यह ऐसा नहीं था कि जिसे सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है। इस आंदोलन के जरिए सरकारी तंत्र को पंगु बनाने, आर्थिक नाकेबंदी करने, समूहों के बीच वैमनस्य पैदा करने, सार्वजनिक शांति भंग करने तथा सरकार के प्रति असंतोष पैदा करने करने की कोशिश की गई। इस तरह की गतिविधि यूएपीए की धारा 15 के तहत आतंकी कार्य के रूप में परिभाषित है।’
अखिल गोगोई (Akhil Gogoi ) को असम (Assam) पुलिस ने पहली बार 12 दिसंबर, 2019 को एहतियात के रूप में गिरफ्तार किया था। यह गिरफ्तारी उस समय हुई थी जब राज्य में तत्कालीन नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Act) सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए और कई स्थानों पर हिंसा हुई। इसके दो दिन बाद यह मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानि एनआईए को सौंप दिया गया था। तब से गोगोई गुवाहाटी की केंद्रीय कारागर में बंद हैं। अखिल गोगोई कृषक मुक्ति संग्राम परिषद और राइजोर दल के नेता हैं।
बता दें कि अखिल गोगई को एनआईए की स्पेशल कोर्ट से दो में से एक केस में जमान मिल गई थी. एनआईए ने गोगोई के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम की धारा 18 और 39 के तहत मामला दर्ज किया था।दूसरी ओर अखिल गोगोई के वकील ने कहा कि वे फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे।