देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में भारत द्वारा ईजाद होने वाली वैक्सीन (Vaccine) की चर्चा पुरजोर तरीके से हो रही है – इस आने वाली वैक्सीन ( coronavirus vaccine )से कोरोना वाइरस जैसी महामारी को जड़ से खात्मा करने के लिऐ देश के वैज्ञानिकों ने और डाक्टरों ने जिस मेहनत और तजुर्बे से ईजाद (बनाई है) की है, वह वास्तव में मुबारकबाद के हकदार हैं – लेकिन इस सच्चाई को भी कतई नहीं नकारा जा सकता कि यह आने वाली वैक्सीन (Vaccine) के पीछे हमारे प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र भाई मोदी (Prime Minister Narendra Modi ) की दूरदृष्टि भी है – अगर प्रधानमंत्री की सोच को देश के वैज्ञानिक और वरिष्ठ डाक्टर सिर/आँखों पर न लेते तो शायद विश्व पटल पर हमारा देश भारत वर्ष की धूम इस तरह नही बजती – हाँ वैक्सीन (Vaccine) ईजाद तो होती – लेकिन जो धूम आज विश्व पटल पर जिस तरह मच रही है – शायद वैसी नहीं होती।
खैर दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन बनाने वाली कम्पनी “सीरम इंस्टीटयूट ऑफ इण्डिया” (Serum Institute of India) इस वैक्सीन बनाने में पूरी तरह शामिल है – अभी इस वैक्सीन का प्रयोग करने की पूरी तैयारियां चल रही हैं कि तरह-तरह की आवाजें सुनाई देने लगी हैं – और ”हराम“/हलाल जैसे शब्दों का इस्तेमाल होने लगा है – लोगों के दिलों में डर व्याप्त करने की कोशिशें भी की जा रही है – जबकि देश के वैज्ञानिक और सीनियर डाक्टर बराबर कह रहे हैं कि जिस तरह कोरोना वायरस का खात्मा देश की सरकार ने आवाम को विश्वास में लेकर किया है – इस वैक्सीन के टीके से वह वाइरस भविष्य में भी कभी लौट कर नहीं आ सकेगा – ऐसा प्रतीत होता है कि जो शब्द इने-गिने लोगों के मुँह से निकल रहे हैं – उनके पीछे वैक्सीन विरोधी नहीं बल्कि मोदी विरोधी लोगों का हाथ लग रहा है।
यह भी सच है कि कुछ शोधकर्ताओं ने पाया है कि दुष्प्रभावों के बारे में बताने के लिये मानक अभी भी कमजोर हैं – और गम्भीर प्रतिकूल घटनाओं की संख्या अभी भी अपेक्षित संख्या से कम है केन्द्र सरकार की इस सोच की भी देश की ज्यादातर अवाम सराहना करती हुई दिखाई दे रही है कि इस ईजाद होने वाली वैक्सीन (Vaccine) का टीकाकरण वह पहले देश के ”हेल्थ विभाग“ के स्टाफ से ही शुरू करने का मन बना चुकी है – जिससे वैक्सीन की अच्छाई और बुराई सामने आ सके।
हेल्थ विभाग के लोगों पर टीकाकरण के बाद भी सावधानियां रखना भी जरूरी होगा पर मानसिक दबाब और डर का माहौल कम करके ही कार्यक्षमता और कार्य कुशलता में वृद्धि करने की दशा में ही टीकाकरण किसी हद तक कारगर साबित होगा – हमारे देश की 130 करोड़ जनता इस बात से भलिभांति वाकिफ है कि कोरोना महामारी की शुरुआत सन् 2020 की शुरुआत में ही पूरे विश्व में हो गई थी- केन्द्र सरकार ने कारगर कदम तुरन्त उठाते हुए इस कोरोना वायरस से बचाने के लिये लॉकडाउन वगैरह भी कदम उठाऐ फिर भी इस महामारी से देश के हजारों लोग मौत के मुँह में चले गये – और करोड़ों रु. के कारोबार चौपट हो गये लोग भुखमरी तक के कगार तक पहुंच गये – लेकिन फिर भी हिम्मत के साथ इस महामारी से लड़ते ही रहे जो कि आज-तक भी लड़ रहे हैं।

कितनी कठिनाइयों को झेलकर इस महामारी का खात्मा करने में कामयाब हुए हैं (या हो रहे हैं) वह स्वयं जानते हैं – हमारे हेल्थ विभाग के डाक्टरों एवं कर्मचारियों ने कई हफ्तों तक अपने घर/परिवार के दर्षन तक नहीं किये – आज जब 2020 साल के मार्च-अप्रैल-मई-जून के दिनों की याद आती है तो दिल कांपने लगता है।
आज यह सच्चाई देश की जनता के सामने है कि भारत में कोविड-19 के एक्टिव मामलों में तेजी से कमी दिखाई दे रही है – यह संख्या 2,31,036 रह गई है। सरकारी आंकड़ों के हिसाब के मुताबिक जो अभी तक कुल संक्रमितों की महज 2.23 प्रतिशत है – स्वदेशी टीका ”कोविशील्ड“ और ”कोवैक्सीन (Covaxin) “ पर प्रधानमंत्री मोदी की पैनी नजर लगी है – शायद इसी वजह से हर सप्ताह वह वैज्ञानिकों और देश के वरिष्ठ डाक्टरों के साथ आने वाली वैक्सीन की एवं उसके टीकाकरण की मीटिंग करते हुए टी.वी. पर नजर आते हैं – इससे यह भी उम्मीद की किरणें दिखाई देने लगी हैं कि भविष्य में कोरोना जैसी महामारी पर अवश्य ही विजय प्राप्त हो सकती है।
इसीलिए शायद केन्द्र सरकार ने यह तय किया है कि 6 महीने में लगभग 30 करोड़ लोगों को इस कोविड-19 वैक्सीन (Vaccine) के टीकाकरण की कोशिश कामयाब होगी। देश की मीडिया के माध्यम से यह भी ज्ञात हुआ है कि स्वास्थ्य विभाग से जुड़े लगभग एक करोड़ लोग और अग्रिम पंक्ति के दो करोड़ कर्मचारी तथा 50 साल से ऊपर के 27 करोड़ लोगों को इस दौरान प्राथमिकताके आधार पर टीका लगाया जायेगा । दरअसल बीते वर्ष के जुलाई-अगस्त से जो आबादी सबसे ज्यादा संक्रमण के खतरे में रही है – उसको पूरी तरह सुरक्षित रखने की कोशिश होगी सरकार-वैज्ञानिक और डॉक्टर वर्ग किसी भी टीके को कारगार कहते रहें – लेकिन अगर उसके दुष्परिणाम आते हैं (जैसी कुछ लोग अफवाहें फैलाने में लगे हैं) तो उस टीके की मार्केट में आने और उसका उपयोग की संभावनाऐं समाप्त हो जाती हैं – दूसरे चरण में टीके का प्रभाव परखा जाता है यह दोनों प्रभावों के मौजूद हो जाने के बाद ही आगे उपयोग की संभावनाऐं बढ़ती हैं – ज्यादातर डाक्टरों और जनता का यह भी मानना है कि टीका की प्रामाणिकता और दीर्घकालीन प्रभाव तथा दुष्प्रभाव के लिये कम से कम दो से पांच साल तक के इन्तजार के बाद ही आंकलन संभव है लेकिन महामारी के संकट की वजह से सीमित उपयोग की मंजूरी के संकट की वजह से सीमित उपयोग की मंजूरी के पीछे जन-रक्षा और महामारी से बचाव ही उद्देश्य है – टीकाकरण को अवसर की तरह उपयोग किया जा सकता है।
यह सच्चाई भी किसी से नहीं छुपी है कि हमारे देश भारत में विश्व भर की 60 प्रतिशत वैक्सीन (Vaccine) बनती है जिनमें दुनियां की सबसे बड़ी वैक्सीन बनाने वाली कंपनी ”सीरम इन्स्टीट्यूट ऑफ इण्डिया प्रा.लि.“ भी शामिल है लेकिन देश की 130 करोड़ जनता को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी की कथनी और करनी पर यकीन रहता है – तभी तो उन्हें और उनकी पार्टी को भारी बहुमत से विजयी बनाकर संसद भवन तक पहुंचाती है। सन् 2020 देश की जनता – व्यापारी वर्ग – धार्मिक वर्ग के बीच भारी मुश्किलों भरा गुजरा हैं – बीते वर्ष से आज तक कोई भी वर्ग पूरी तरह नही उभर सका है।
जिस वैक्सीन का ईजाद देश के वैज्ञानिकों और डाक्टरों ने किया है उस पर यकीन किया जायेगा या नहीं यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा – हाँ – मोदी जी के कथन पर यकीन करना कुछ लोग अपना फर्ज समझते हैं – ”ठीक 12 बजे देश में लॉकडाउन लग जायेगा“ जैसे ही प्रधानमंत्री मोदी जी के यह शब्द जनता ने सुने-पूरे देश में सन्नाटा व्याप्त हो गया- लोग एक दूसरे से दूरी बनाते दिखाई देने लगे – मुंह पर ”मास्क“ छा गये- आज पुनः मोदी जी महामारी की सुरक्षा हेतु आने वाली वैक्सीन का गुणगान कर रहे हैं – मुझे उम्मीद ही नहीं बल्कि पूरा यकीन है कि वैक्सीन की गुणवत्ता का बखान जिस तरह प्रधानमंत्री मोदी जी कर रहे हैं – उसका टीकाकरण कराने में 130 करोड़ लोग पुनः मोदी जी का साथ देंगे।
वैक्सीन का ‘रिजल्ट’ कैसा सामने आयेगा यह तो वक्त बतायेगा – फिर भी देश के वैज्ञानिकों-डाक्टरों के कथन पर विश्वास करते हुए – तथा मोदी विरोधियों को पीछे छोड़ते हुए देश की जनता को आगे आना होगा – और अपनी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखना ही होगा – मेरी ”अल्लाह“ से दुआ है कि हमारे देश की अवाम हर बीमारी से पूरी तरह महफूज रहे और हमारा हिन्दुस्तान दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करता रहे।
डॉ0 सिराज कुरैशी
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डॉ0 सिराज कुरैशी (Dr. Siraj Qureshi) आगरा के वरिष्ठतम पत्रकारों में जाने जाते हैं। उन्होने माया (Maya) और धर्मयुग (Dharmayug) जैसी पत्रिकाओं के साथ काम करने के अलावा इंडियन एक्सप्रेस (The Indian Express) जैसे नामी-गिरामी अँग्रेजी दैनिक अखबार के लिए काम किया है और वर्तमान में इंडिया टुडे (India Today) के लिए लिखते हैं। डॉ0 कुरैशी आगरा की जानी-मानी हस्ती होने के साथ ही हिन्दुस्तानी बिरादरी (Hindustani Biradari) संस्था के अध्यक्ष भी हैं। आगरा में सांप्रदायिक सौहार्द्र बनाए रखने की दिशा में लगातार प्रयासरत रहने के कारण डॉ0 कुरैशी को भारत सरकार द्वारा कबीर पुरुस्कार (Kabir Award) से सम्मानित किया जा चुका है।
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