मौलाना वहीदुद्दीन खान( Maulana Wahiduddin Khan )को भारत का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण( Padma Vibhushan )के लिए चुना गया है। मौलाना बर्रे सगीर के मशहूर आलिमे दीन हैं। मौलाना की पहचान शांति के लिए काम करने वाली बड़ी हस्तियों में भी की जाती है। इन्होंने कुरान को आसान अंग्रेजी में अनुवाद किया और कुरान पर एक टिप्पणी भी लिखी। मुसलमानों में मौलाना को बहुत मकबूलियत हासिल है।
दिल्ली में रहने वाले मौलाना वहीदुद्दीन खान ( Maulana Wahiduddin Khan )का जन्म एक जनवरी 1925 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में हुआ था। वे प्रसिद्ध इस्लामिक विद्वान( Indian islamic scholar)और शांति कार्यकर्ता हैं। उन्हें सोवियत संघ के दौर में राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव ने डेमिर्गुस पीस इंटरनेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया था। उन्होंने कुरान को सरल और समकालीन अंग्रेजी में अनुवाद किया है और कुरान पर एक टिप्पणी भी लिखा है और ये कई टेलीविजन चैनलों पर व्याख्यान देते रहते हैं।
उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh) के आजमगढ़ ( Azamgarh ) जिले के बधारिया गांव में जन्मे मौलाना वहीदुद्दीन ( Maulana Wahiduddin Khan )को इस्लामी विद्वान और मशहूर शांतिवादी कार्यकर्ता हैं। मौलाना वहीदुद्दीन को साल 2000 में पद्म भूषण से भी नवाजा जा चुका है। इसके अलावा पूर्व सोवियत राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव द्वारा डेमिर्गुस पीस इंटरनेशनल अवॉर्ड, मदर टेरेसा और राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार(2009), अबूजहबी में सैयदियाना इमाम अल हसन इब्न अली शांति अवार्ड (2015) से उन्हें सम्मानित किया जा चुका है।
उन्हें दुनिया के 500 सबसे ज्यादा प्रभावी मुस्लिमों की सूची में भी शामिल किया जा चुका है। डेमिग्रुस पीस इंटरनेशनल अवार्ड से सम्मानित किए जा चुके वहीदुद्दीन ‘इस्लाम ( Maulana Wahiduddin Khan )में महिलाओं के अधिकार’, ‘कांसेप्ट ऑफ जिहाद’, ‘विमान अपहरण-एक अपराध’ जैसे अपने लेखों के लिए बेहद चर्चित रहे हैं।