चारा घोटाले में सजायाफ्ता और राजद ( RJD ) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ( Lalu Prasad Yadav) के बड़े बेटे और बिहार के हसनपुर विधायक तेज प्रताप यादव ( Tej Pratap ) अक्सर सोशल मीडिया में चर्चा का केंद्र बने रहते हैं।इस नए अभियान को लेकर तेज प्रताप ( Tej Pratap Yadav)की खूब चर्चा हो रही है। दरअसल, पिता की रिहाई के लिए तेज प्रताप ने पोस्टकार्ड अभियान चलाया है। चार लाइनों में ही हिन्दी में 6 गलतियां हैं। बस इस बात का मुद्दा बनाकर लोग सोशल मीडिया पर तेज प्रताप के बारे में अलग-अलग बातें कर रहे हैं।
दरअसल, तेज प्रताप यादव ( Tej Pratap Yadav)ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पोस्टकार्ड पत्र लिखने का अभियान प्रारंभ किया है, जिसे ‘आजादी पत्र’ नाम दिया गया है. तेज प्रताप और उनकी बहन रोहिणी आचार्य ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर लालू प्रसाद की रिहाई की मांग की है। उन्होंने लोगों से भी अपील की है कि सभी लालू प्रसाद यादव की रिहाई की मांग के लिए राष्ट्रपति को पत्र लिखें। इस अभियान के तहत कुल दो लाख आजादी पत्र राष्ट्रपति को लालू यादव की रिहाई के लिए सौंपे जाएंगे। उन्होंने कहा कि आजादी पत्र लिखने का यह अभियान तब तक चलेगा, जब तक लालू यादव जेल से बाहर न आ जाए।
तेज प्रताप यादव का पत्र मीडिया में आने के बाद उसपर एक नयी बहस शुरू हो गयी है।राज्यपाल के तौर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शपथ ग्रहण के दौरान अशुद्ध उच्चारण के लिए तेज प्रताप को टोका था, ऐसे में आजादी पत्र नाम से भेजे गये पार्स्ट कार्ड में तेज प्रताप ने अपने पिता का नाम भी शुद्ध शुद्ध नहीं लिख पाये हैं।
तेज प्रताप ने अपने पत्र में ‘आदरणनीय श्री लालू प्रसाद जी की जगह ‘आपरणीय श्री लालु प्रसाद जी’ लिख दिया है।सिर्फ लालू ही नहीं, एक वाक्य में कई गलतियां लिखी हैं। जैसे ‘मसीहा’ को ‘मसिहा’ लिख दिया है। इसी तरह ‘मूल्य’ को ‘मुल्य’, ‘गरीबों’ को ‘गरीवों’, और ‘वंचित’ को ‘बंचित’ लिखा है।
तेज प्रताप यादव ने इतनी ही गलतियां नहीं की है, उन्होंने आगे भी कई शब्द अशुद्ध लिखा है।राजद के लोग जहां उनकी इस मुहिम की सराहना कर रहे हैं वहीं उनकी गलतियों के लिए विपक्षी दलों के नेता उनका मजाक उड़ा रहे हैं। मालूम हो कि तेज प्रताप यादव ग्यारहवीं तक पढ़े हैं. 12वीं में फेल होने के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी थी।
चारा घोटाले के चार मामलों में लालू यादव को सजा मिली है, जिनमें से चाईबासा के दो मामले आरसी 20A/96 और आरसी 68A/96, देवघर के एक मामले आरसी 64A/96 में उन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी है। दुमका केस में अभी तक उन्हें जमानत नहीं मिली है। इस बीच लगातार उनकी तबीयत में गिरावट आई है। उन्हें लगभग 28 महीने तक रांची के रिम्स में इलाज कराने के बाद दिल्ली के एम्स में एडमिट कराया गया है।