देश का पहला पेपरलेस बजट( Budget )सोमवार को पेश किया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ( Nirmala Sitharaman) ने इसे मेड इन इंडिया टैबलेट से पढ़ा। सांसदों को भी बजट उनके मोबाइल पर मिला। आप भी पढ़ना चाहें तो यूनियन बजट ऐप से बजट को पढ़ सकते हैं। मोदी सरकार में इससे पहले भी कई चीजें पहली बार हुई हैं।
2020 में पहली बार दो तरह का टैक्स सिस्टम आया, 2019 में 159 साल पुराने ब्रीफकेस में बजट( Budget ) डॉक्यूमेंट ले जाने की परंपरा खत्म हुई, 2018 में पहली बार देश में बनी चीजों के दाम बजट के बाद बढ़े-घटे नहीं, 2017 में 92 साल में पहली बार रेल बजट पेश नहीं हुआ।
ऐसे कई उदाहरण हैं। आइये जानते हैं इस बार के बजट में क्या नया है, साथ ही ये भी जानते हैं कि बजट में कब क्या पहली बार हुआ। यह पहला मौका है जब बजट के पेपर प्रिंट नहीं हुए। पहले वित्त मंत्रालय की प्रेस में बजट ( Budget )डॉक्यूमेंट्स प्रिंट होते थे। करीब 100 कर्मचारी इससे जुड़े होते थे, जो बजट डॉक्यूमेंट प्रिंट होने, सील होने और बजट के दिन डिलीवर किए जाने तक करीब 15 दिन साथ रहते थे।
इस दौरान ये लोग घर भी नहीं जा सकते थे। इनके पास न तो इंटरनेट की सुविधा होती थी, न ही मोबाइल फोन होता था। इस साल कोरोना के चलते बजट की सॉफ्ट कॉपी साझा की गई। शुक्रवार को सभी सांसदों को इकोनॉमिक सर्वे की भी सॉफ्ट कॉपी दी गई।
बजट के लिए यूनियन बजट नाम का मोबाइल ऐप लॉन्च किया गया। वित्त मंत्रालय ने 6 जनवरी को ये ऐप लॉन्च किया। इस ऐप पर वित्त मंत्री के भाषण के बाद बजट से जुड़े 14 डॉक्यूमेंट सांसदों और आम लोगों के लिए मौजूद हैं।
जुलाई 2019 में निर्मला सीतारमण बजट ब्रीफकेस लेकर सदन नहीं पहुंचीं। उनके हाथ में ब्रीफकेस की जगह लाल रंग का फोल्डर था। इसे बजट की जगह बही खाता कहा गया। 159 साल में पहली बार ऐसा हुआ, जब बजट( Budget ) ब्रीफकेस का इस्तेमाल नहीं हुआ।