चीन (China ) की शी जिनपिंग( Xi Jinping ) सरकार ने BBC World News को बैन कर दिया। हालिया दो महीनों में बीबीसी ने चीन से जुड़े दो अहम खुलासे किए थे। उसने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि कोरोनावायरस के मामले पर चीन कैसे दुनिया से सच्चाई छिपा रहा है। इसके बाद पिछले हफ्ते बीबीसी ने एक रिपोर्ट में बताया था कि चीन में उईगर मुस्लिमों के डिटेंशन कैम्प्स में महिलाओं से गैंगरेप किए जाते हैं।
दूसरी तरफ, चीन का आरोप है कि बीबीसी ( BBC ) जानबूझकर झूठ और अफवाह फैला रहा है, उसकी खबरों में कोई सच्चाई नहीं है और यह चीन को बदनाम करने की साजिश है।
बीबीसी ( BBC )पर बैन के बाद चीन की तरफ से कहा गया- इस न्यूज ऑर्गनाइजेशन ने हमारे देश की गाइडलाइन्स को फॉलो नहीं किया। हालांकि, एक बात इसी मामले से और जुड़ी है।बीबीसी मूल रूप से ब्रिटेन का ऑर्गनाइजेशन है। ब्रिटिश सरकार ने पिछले दिनों चीन के CGTN न्यूज चैनल का लाइसेंस यह कहते हुए रिन्यू करने से इंकार कर दिया था कि यह वहां की सरकार और सेना के इशारे पर प्रोपेगंडा फैलाता है। दोनों देशों के बीच हॉन्गकॉन्ग को लेकर पहले ही काफी तनाव है।
बोरिस जॉनसन ( Boris Johnson )की ब्रिटेन सरकार ने सितंबर में चीन को बहुत बड़ा झटका दिया था। जॉनसन ने चीन की हुबेई कंपनी को 5जी नेटवर्क का कॉन्ट्रैक्ट देने से इंकार कर दिया था। खास बात यह है कि हुबेई और ब्रिटेन के बीच ठेके पर शुरुआती सहमित बन गई थी। बाद में ब्रिटेन ने कहा था- हुबेई के जरिए चीन की सेना और सरकार दूसरे देशों में जासूसी का नेटवर्क तैयार कर रही है। इसके बाद ब्राजील, स्वीडन और कनाडा ने भी यही फैसला किया था।

बीबीसी ( BBC )पर बैन लगाए जाने के बाद चीन ने कहा- हमने ब्रॉडकास्टिंग के लिए गाइडलाइन्स तय की हैं। ये माननी ही होंगी। किसी को भी झूठ और अफवाह फैलाने की इजाजत नहीं दी जा सकती। हम अपने राष्ट्रीय हितों को सबसे पहले रखते हैं। हमें इनकी फिक्र है। इस बारे में किसी तरह का कोई समझौता नहीं किया जा सकता।
दूसरी तरफ, बीबीसी ( BBC )ने एक बयान में कहा- चीन सरकार के इस फैसले से हम निराश हैं। हालांकि, यह नया फैसला नहीं है, क्योंकि लंबे वक्त से वहां के इंटरनेशनल होटल्स और कुछ अहम जगहों पर हमारे चैनल का टेलिकास्ट रोक दिया गया था। हम पहले की तरह निष्पक्ष रिपोर्टिंग करते रहेंगे।
ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक रॉब ने कहा- यह मीडिया के जरिए सच की आवाज को रोकने की साजिश है। हम इस बैन के खिलाफ हैं। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा- हम चीन के इस कदम का विरोध करते हैं।