राजस्थान ( Rajasthan ) के सीकर(Sikar )में एक ही परिवार के चार लोगों ने आत्महत्या (suicide) कर ली। चार महीने पहले 27 सितंबर 2020 को हार्ट अटैक से 18 साल के इकलौते बेटे की मौत हो गई थी। बेटे को खोने के गम में पूरा परिवार अवसाद में आ गया। रविवार को पति-पत्नी ने अपनी दो बेटियों के साथ फांसी लगा ली। घर के कमरे से सुसाइड नोट मिला है, जिसमें लिखा है- ‘हम बेटे अमर के बिना जी नहीं सकते। हम भी दुनिया छोड़कर जा रहे हैं। बेटे के बिना दुनिया बेकार है। पुलिस किसी को परेशान न करे।’ मामला सीकर(Sikar ) के पुरोहित जी ढाणी इलाके का है।
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद दिवंगत मदनलाल सैनी के भतीजे हनुमान प्रसाद सैनी ने परिवार समेत फांसी लगा ली। हनुमान (48) अपनी पत्नी तारा (45) और दो बेटियां पूजा (24) और चीकू (22) के साथ घर के कमरे में फंदे पर लटके मिले। वह सरकारी स्कूल में फोर्थ क्लास कर्मचारी थे। पत्नी गृहिणी थी। बड़ी बेटी पूजा एमएससी फर्स्ट ईयर और चीकू बीएससी सेकंड ईयर की स्टूडेंट थी।
पड़ोसियों ने बताया कि बेटे की मौत के बाद परिवार तनाव में था। सिर्फ हनुमान ही ड्यूटी पर जाने के लिए घर से निकलता था। इसके अलावा, उनकी पत्नी और दोनों बेटियां घर के अंदर ही रहती थीं। वह बाहर तक नहीं निकली थीं।
रविवार शाम हनुमान के घर रोजाना की तरह दूधवाला दूध देने आया। काफी देर तक उसने दरवाजा खटखटाया, लेकिन रिस्पांस नहीं मिला। इसके बाद परिवार के लोगों के मोबाइल पर कॉल किया। किसी ने पिक नहीं किया। इसके बाद दूधवाले ने हनुमान के छोटे भाई घनश्याम के बेटे युवराज को फोन किया, जो अमर की मौत के बाद से हनुमान के पास ही रहता था। युवराज ने अपने पिता व चाचा को मोबाइल पर कॉल किया।
घटनास्थल पर पहले हनुमान के चाचा का लड़का कपिल सैनी आया। उसने घर का मुख्य दरवाजा खोलकर अंदर के लकड़ी के गेट के धक्का मारा तो वह खुल गया। अंदर कमरे में देखा, तो कपिल के होश उड़ गए। हनुमान समेत चारों फंदे पर लटके थे। कपिल ने तुरंत घनश्याम को कॉल किया। सीकर(Sikar )पुलिस को सूचना दी और परिवार के अन्य सदस्य मौके पर आए।
2 पेज के सुसाइड नोट में लिखा-‘मैं हनुमान प्रसाद सैनी, मेरी पत्नी तारा देवी व दो बेटियां पूजा व अन्नू अपने पूरे होश में यह लिख रहे हैं। हमारे पुत्र अमर जिसका स्वर्गवास 27 सितंबर 2020 को हो गया था। हमने उसके बिना जीने की कोशिश की, लेकिन उसके बगैर जिया नहीं जाता, इसलिए हम चारों ने अपनी जीवन लीला समाप्त करने का फैसला किया है। अमर ही हम चारों की जिंदगी था, वहीं नहीं तो हम यहां क्या करेंगे।
पड़ोसियों ने बताया कि कमरे में जिस लोहे के गाटर से चारों के शव लटके मिले हैं। वह कमरे में पहले नहीं था, उसे 4 दिन पहले ही मिस्त्री बुलाकर लगवाया गया था। यही नहीं, जिस रस्सी से चारों के शव लटके थे। वह एक ही रस्सी के टुकड़े थे और नई थी। ऐसे में आशंका है, परिवार ने कई दिन पहले सामूहिक सुसाइड का प्लान बनाया होगा। बेटे की मौत के बाद हनुमान अक्सर अपने छोटे भाई सुरेश व घनश्याम से भी कहता था कि मैं अब जीउंगा नहीं।