श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड ने यात्रा की तारीखों का ऐलान कर दिया है। इस बार अमरनाथ यात्रा ( Amarnath Yatra ), 28 जून से शुरू होकर 22 अगस्त को खत्म होगी। बोर्ड ने शनिवार को बैठक में ये फैसला लिया है। सूत्रों के मुताबिक, इस बार यात्रा सिर्फ बालटाल रूट से कराने का फैसला किया गया है। यात्रा का पारंपरिक रास्ता पहलगाम , चंदनवाड़ी, शेषनाग, पंचतरणी से होकर जाता है।
श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के चेयरमैन और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ( Lieutenant Governor, Manoj Sinha) ने शनिवार को राजभवन में बोर्ड सदस्यों की बैठक की। इसमें यात्रा ( Amarnath Yatra )के शेड्यूल के साथ ही कई जरूरी मुद्दों पर चर्चा हुई। कई राज्यों में कोरोना संक्रमण की वापसी के कारण यात्रा के दौरान कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन कराया जाएगा।
गौरतलब है कि पिछले दो महीनों से इस बार बाबा अमरनाथ की यात्रा ( Amarnath Yatra )को सफल और पहले से और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए बैठकों का दौर जारी है। श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के चीफ एग्जीक्यूटिव आफिसर नितेश्वर कुमार की अध्यक्षता में करीब पांच बार बैठकें हो चुकी हैं। इसमें सीईओ नितेश्वर कुमार ने श्रद्धालुओं के पंजीकरण, सुरक्षा के लिए किए जा रहे बंदोबस्त सहित हेलीकॉप्टर सुविधा व यात्रा मार्ग पर लंगरों की व्यवस्था बारे भी रूपरेखा तैयार की है।
कोरोना के चलते पिछले साल अमरनाथ यात्रा ( Amarnath Yatra )को लेकर काफी पशोपेश हुआ था। जम्मू के राजभवन में 22 अप्रैल को हां-ना-हां-ना का दौर चला। पहले राजभवन ने अमरनाथ यात्रा निरस्त करने की जानकारी दी, लेकिन बाद में उस प्रेस रिलीज को ही कैंसिल कर दिया। घंटेभर बाद एक और प्रेस रिलीज में सफाई देते हुए कहा गया कि कोरोना के चलते तय तारीखों में यात्रा करवाना संभव नहीं है। हालांकि, तब भी यात्रा होगी या नहीं, इस पर बाद में फैसला करने की बात कही गई थी। हालात को देखते हुए आखिरकार यात्रा रद्द कर दी गई थी।
श्रीनगर से करीब 145 किलोमीटर की दूरी पर अमरनाथ गुफा स्थित है। यह गुफा लगभग 150 फीट ऊंची और लगभग 90 फीट लंबी है। ये गुफा करीब 4000 मीटर की ऊंचाई पर है। गुफा में शिवलिंग पूरी तरह प्राकृतिक रूप से निश्चित समय के लिए ही बनता है। यहां श्रीगणेश, पार्वती और भैरव के हिमखंड भी बन जाते हैं।
अमरनाथ गुफा से जुड़ी धार्मिक मान्यता ये है कि इसी जगह पर शिवजी ने देवी पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था। उस समय देवी पार्वती तो सो गई थीं, लेकिन एक कबूतर ने छिपकर शिवजी से अमरत्व का रहस्य सुन लिया था। इसके बाद वह कबूतर अमर हो गया।