उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh) की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल,ने विधानसभा में प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे ( Pradeep Dubey ) की नियुक्ति को लेकर जांच के आदेश दिए हैं। सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर ने उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाए थे।
नूतन ठाकुर ने कहा था कि दुबे ( Pradeep Dubey )ने 13 जनवरी 2009 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी। इसके तुरंत बाद ही 19 जनवरी 2009 को उन्हें विधानसभा के प्रमुख सचिव का पद दे दिया गया। जो नियमावली के खिलाफ है। राज्यपाल ने मामले में जांच के आदेश दिए हैं।
बता दें कि मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा गया था। प्रदीप दुबे ( Pradeep Dubey )को 6 मार्च 2012 को दोबारा प्रमुख सचिव नियुक्त किया गया था जबकि उस समय उनकी आयु इस पद के लिए अधिकतम हो चुकी थी।
30 अप्रैल 2019 को रिटायर होने के बाद भी वे बिना किसी विधिक आदेश अथवा सेवा विस्तार के ही प्रमुख सचिव, विधान सभा के पद पर काम करते रहे. नूतन ने इस सम्बन्ध में जांच कराते हुए उन्हें अविलंब इस पद से हटाये जाने तथा पूर्व नियुक्तियों की भी जांच कराने का अनुरोध राज्यपाल से किया था. राज्यपाल सचिवालय ने प्रमुख सचिव, न्याय विभाग को इस मामले में विधि अनुसार कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। प्रदीप दुबे ( Pradeep Dubey )बसपा एवं सपा के खास होने के बाद अब भाजपा के भी खास बन गये हैं।
विशेष सचिव बद्रीनाथ सिंह ने लिखा है कि मिली शिकायत के आधार पर राज्यपाल के द्वारा प्रमुख सचिव विधानसभा प्रदीप कुमार दुबे के खिलाफ जांच कर उचित कार्रवाई करने के निर्देश दिए जाने के मुझे आदेशित किया गया है।