Friday, September 20, 2024

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Uttar Pradesh :वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद मामले में पुरातात्विक सर्वे को मंजूरी, मस्जिद कमेटी ने कहा- हाईकोर्ट जाएंगे

vishwanath mandir and Gyanvapi mosque

vishwanath mandir and Gyanvapi mosque  (  के   () के काशी , मंदिर के पक्ष में फैसला देते हुए कोर्ट ने ज्ञानवापी  मस्जिद ( Gyanvapi Mosque) परिसर का रडार तकनीक से आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) से पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की मंजूरी दे दी है। सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट आशुतोष तिवारी की अदालत ने गुरुवार को लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी के आवेदन को स्वीकार कर लिया।

मस्जिद ( Gyanvapi Mosque)की इंतेजामिया कमेटी से जुड़े सैयद यासीन ने कहा कि वे फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे। उन्होंने कहा कि समिति सर्वे करने के लिए किसी को मस्जिद में दाखिल नहीं होने देगी।

अदालत में प्राचीन मूर्ति स्वयंभू लार्ड विश्वेश्वरनाथ के वाद मित्र विजयशंकर रस्तोगी की तरफ से वर्ष 1991 से लंबित इस प्राचीन मुकदमे में आवेदन दिया था। जिसमें कहा गया कि मौजा शहर खास स्थित ज्ञानवापी परिसर के आराजी नंबर 9130, 9131, 9132 रकबा एक बीघे नौ बिस्वा जमीन का पुरातात्विक सर्वेक्षण रडार तकनीक से करके यह बताया जाए कि जो जमीन है, वह मंदिर का अवशेष है या नहीं। साथ ही विवादित ढांचे का फर्श तोड़कर देखा जाए कि 100 फीट ऊंचा ज्योतिर्लिंग स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ वहां मौजूद हैं या नहीं। दीवारें प्राचीन मंदिर की हैं या नहीं।

रडार तकनीक से सर्वेक्षण से जमीन के धार्मिक स्वरूप का पता चल सकेगा। वाद मित्र रस्तोगी की दलील थी कि 14वीं शताब्दी के मंदिर में प्रथम तल में ढांचा और भूतल में तहखाना है, जिसमें 100 फुट ऊंचा शिवलिंग है, यह खुदाई से स्पष्ट हो जाएगा। मंदिर हजारों वर्ष पहले 2050 विक्रम संवत में राजा विक्रमादित्य ने बनवाया था। फिर सतयुग में राजा हरिश्चंद्र और वर्ष 1780 में अहिल्याबाई होलकर ने जीर्णोद्धार कराया था। उन्होंने यह भी कहा था कि जब औरंगजेब ने मंदिर पर हमला किया था तो उसके बाद 100 वर्ष से ज्यादा समय तक यानी वर्ष 1669 से 1780 तक मंदिर का अस्तित्व ही नहीं था।

सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता अभय नाथ यादव ने कहा कि दावे के अनुसार, जब मंदिर तोड़ा गया, तब ज्योतिर्लिंग उसी स्थान पर मौजूद था, जहां आज है। उसी दौरान राजा अकबर के वित्तमंत्री टोडरमल की मदद से नरायन भट्ट ने मंदिर बनवाया था, जो उसी ज्योतिर्लिंग पर बना है। ऐसे में विवादित ढांचा के नीचे दूसरा शिवलिंग कैसे आ सकता है। इसलिए खुदाई नहीं होनी चाहिए।

रामजन्म भूमि की तरह पुरातात्विक रिपोर्ट मंगाए जाने पर कहा था कि स्थितियां विपरीत हैं। वहां साक्षियों के बयान के बाद विरोधाभास होने पर कोर्ट ने रिपोर्ट मंगाई थी, जबकि यहां के मामले में अभी तक किसी का साक्ष्य हुआ ही नहीं है। ऐसे में साक्ष्य आने के बाद विरोधाभास होने पर कोर्ट रिपोर्ट मंगा सकती है। दलील दी कि साक्ष्य एकत्र करने के लिए रिपोर्ट नहीं मंगाई जा सकती। यह भी कहा कि विवादित ढांचा ( Gyanvapi Mosque)खोदे जाने से शांतिभंग भी हो सकती है।

कोर्ट का दायित्व है कि वहां शांति बनी रहे। इसी तरह से सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड से मिलती-जुलती दलीलें अंजुमन इंतजामिया कमेटी की ओर से भी पेश की गई। अदालत में लार्ड विश्वेश्वरनाथ की तरफ से अमरनाथ शर्मा, सुनील रस्तोगी, रितेश राय, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से रईस अहमद खान, अफताब अहमद व मुमताज अहमद और सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से तौफीक खान कोर्ट में मौजूद थे।

 

Vijay Upadhyay

Vijay Upadhyay is a career journalist with 23 years of experience in various English & Hindi national dailies. He has worked with UNI, DD/AIR & The Pioneer, among other national newspapers. He currently heads the United News Room, a news agency engaged in providing local news content to national newspapers and television news channels