राजद ( RJD ) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ( Lalu Prasad Yadav) को लंबी कानूनी लड़ाई के बाद झारखंड हाईकोर्ट से जमानत तो मिल गई, लेकिन कोरोना ने उनके बाहर आने पर ब्रेक लगा दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव को रिहा होने के लिए अभी एक सप्ताह का इंतजार करना होगा। दरअसल ऐसा राज्य के वकीलों के खुद को न्यायिक कार्य से अलग रखे जाने के कारण हुआ है।
राज्य में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए झारखंड राज्य बार कौंसिल ने 25 अप्रैल तक अदालती कार्य नहीं करने आदेश जारी किया है। राज्य के सभी वकीलों को इसका पालन करने को कहा गया है। लालू प्रसाद ( Lalu Prasad Yadav) को 18 अप्रैल को हाईकोर्ट से जमानत मिली है, लेकिन 25 अप्रैल तक उनका बेल बांड भरा नहीं जा सकेगा। बेल बांड भरने के लिए वकीलों का अदालत में जाना अनिवार्य है। इस कारण 25 अप्रैल तक लालू यादव जेल से बाहर नहीं आ सकते हैं।
राज्य के वकील हाईकोर्ट से लेकर अनुमंडल न्यायालय और न्यायाधिकरणों में न तो वर्चुअल और न ही फिजिकल शामिल हो रहे हैं। बार कौंसिल ने अगली बैठक 25 अप्रैल को बुलाई है। अगर इस दिन न्यायिक कार्य से अलग रहने की अवधि बढ़ायी जाती है, तो लालू प्रसाद ( Lalu Prasad Yadav) का इंतजार और बढ़ जाएगा।
राज्य के वकील हाईकोर्ट से लेकर अनुमंडल न्यायालय और न्यायाधिकरणों में न तो वर्चुअल और न ही फिजिकल शामिल हो रहे हैं। बार कौंसिल ने अगली बैठक 25 अप्रैल को बुलाई है। अगर इस दिन न्यायिक कार्य से अलग रहने की अवधि बढ़ायी जाती है, तो लालू प्रसाद का इंतजार और बढ़ जाएगा।
राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव क्या फिर से जेल जाएंगे? क्या सीबीआइ उनकी जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेगी? लालू यादव का पूरा कुनबा और उनकी पार्टी सुशील मोदी पर इस कदर क्यों भड़की हुई है? इन सारे सवालों का जवाब भाजपा के वरिष्ठ नेता राज्यसभा के सदस्य और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की टिप्पणी में है। सुशील मोदी ने सीबीआई से मांग की है कि लालू की जमानत याचिका के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में गुहार लगाई जाए।