देश के बारह ज्योतिर्लिंगों में सर्वोच्च माने जाने वाला केदारनाथ मंदिर(Kedarnath Temple ) के आज सोमवार को प्रातः कपाट भक्तों के दर्शानार्थ खुल गये। आज सुबह मेष लग्न में भगवान आशुतोष केदारनाथ धाम के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए गए।आज से बाबा केदार की छह माह की पूजा-अर्चना धाम में ही होगी।
कोरोना के चलते पिछले साल की तरह इस बार भी श्रद्धालु भगवान के दर्शन नहीं कर सकेंगे। भक्तों सिर्फ ऑनलाइन ही दर्शन कर सकेंगे।
कोरोना महामारी के कारण इस वर्ष भी केदारनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के बिना ही खुले। कोरोना संक्रमण के कारण सरकार ने चारधाम यात्रा स्थगित की है। मंदिर में सिर्फ रावल, तीर्थ पुरोहित, पंडा समाज व हकहककूधारियों को पूजा अर्चना की अनुमति होगी।
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जारी दिशा-निर्देशों के तहत कपाटोद्घाटन परंपराओं के साथ हुआ। इस वर्ष भी श्रद्धालु इस पावन क्षण के साक्षी नहीं बन पाए। सोमवार सुबह 5 बजे मेष लग्न में धाम के कपाट खोल दिए गए।महाकाल ग्रुप ऋषिकेश द्वारा गुलाब, गेंदा, बसंती व कमल के मंदिर को 11 कुंतल फूलों से सजाया गया है।

सोमवार को तड़के तीन बजे से केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Temple ) में विशेष पूजा-अर्चना शुरू हूई। मुख्य पुजारी बागेश लिंग द्वारा केदारनाथ बाबा की समाधि पूजा के साथ अन्य धार्मिक कार्य पूरे किए गए। इसके बाद निर्धारित समय पर सुबह 5 बजे रावल भीमाशंकर लिंग, जिलाधिकारी मनुज गोयल और देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य अधिकारी बीडी सिंह समेत अन्य आला अधिकारियों की मौजूदगी में केदारनाथ धाम के कपाट विधि-विधान के साथ खोल दिए गए।
केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Temple ) मंदाकिनी व सरस्वती नदी के संगम पर स्थित है।यात्रा स्थगित होने से केदारघाटी से लेकर धाम तक सिर्फ परंपराओं का निर्वहन हो रहा है।बाजारों में सन्नाटा पसरा पड़ा है और दुकानों पर ताले लटके हुए हैं।
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि देवस्थानम बोर्ड एवं मंदिर समितियों द्वारा चारों धामों में पहली पूजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से जनकल्याण के लिए की जा रही है। शनिवार शाम को केदारनाथ भगवान की पंचमुखी डोली केदारनाथ धाम पहुंची।
बदरीनाथ धाम के कपाट 18 मई को प्रात: 4 बजकर 15 बजे खुल रहे हैं। रविवार को श्री नृसिंह मंदिर से आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी, रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी के साथ योगध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर पहुंच गए हैं। आज शाम श्री उद्धव एवं श्री कुबेर के साथ ही आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी बदरीनाथ धाम पहुंचेगी।