उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) के नवनियुक्त अध्यक्ष संजय श्रीनेत ( Sanjay Srinet ) ने मंगलवार को अपना कार्यभार ग्रहण कर लिया है। उनकी नियुक्ति करीब एक महीना पहले हुई थी और तभी से उनका इंतजार हो रहा था।
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ( यूपीपीएससी ) के कार्यालय में दोपहर बाद अपना कार्यभार संभालने के बाद उन्होंने कहा कि यूपीपीएससी में अब तो पारदर्शी कार्यप्रणाली लागू की जाएगी। सभी भर्तियों के त्वरित निस्तारण की दिशा में काम होंगे। अब से यहां की सभी परीक्षाएं मेधावियों की मंशा के अनुरूप आयोजित होंगी।उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की ओर से आयोजित परीक्षाएं मेधावी युवाओं की आकांक्षाओं का केंद्र होती हैं, ऐसे में आयोग की चयन प्रक्रिया संदेह से परे होनी ही चाहिए।
वर्तमान में जब आयोग स्केलिंग के मुद्दे पर चौतरफा घिरा हुआ है और आयोग की परीक्षाओं की सीबीआई जांच भी चल रही है, तब आयोग के नए अध्यक्ष का यह बयान काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। नए अध्यक्ष ने युवाओं को भरोसा दिलाया है कि आयोग उनके सुखद भविष्य को ध्यान में रखकर कार्य करेगा।
आयोग में ज्वाइनिंग के बाद संजय श्रीनेत ( Sanjay Srinet ) ने चयन प्रक्रिया में नई टेक्नोलॉजी लागू के संकेत दिए। उनके अनुसार लोक प्रशासक के चयन, लोक प्रशासन और मानव विकास संसाधन के क्षेत्र में नए प्रयोगों और टेक्नोलॉजी को भी आवश्यकतानुसार लागू किया जाना प्रासंगिक है। इससे आयोग की कार्यप्रणाली में तेजी, पारदर्शिता और दक्षता आएगी।
श्रीनेत( Sanjay Srinet ) ने इस बात पर जोर दिया कि प्रशासनिक अफसर भी शोध कार्य से जुड़े। उन्होंने पश्चिमी देशों में ‘स्कॉलर एडमिनिस्ट्रेटर’ की प्रचलित प्रथा का संदर्भ देते हुए कहा कि उच्च प्रशासनिक अधिकारियों को अध्ययन, अध्यापन और शोध कार्य भी करते रहना चाहिए। ‘अभ्युदय योजना’ इस दिशा में एक दूरदर्शी प्रयास है।
उन्होंने प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था में लोक सेवा आयोग के अतिरिक्त चयनित अधिकारियों के प्रशिक्षण संस्थान और सरकार के कार्मिक विभाग को भी बराबर का भागीदार बताया। साथ ही कहा कि इनमें निकट का सामंजस्य स्थापित रहना चाहिए। अपने शपथ ग्रहण समारोह में श्रीनेत ने आयोग के सदस्यों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों से कहा कि प्रदेश में दक्ष, समावेशी और संवेदनशील प्रशासन उपलब्ध कराने के लिए योग्य, सत्यनिष्ठ उम्मीदवारों का प्रामणिक एवं पारदर्शी तरीके से समयबद्ध चयन लोक सेवा आयोग का संवैधानिक दायत्व है। आयोग एक संवैधानिक संस्था है। इसकी प्रमाणिकता, विश्वसनीयता बरकरार रखना आयोग के हर सदस्य, अधिकारी, कर्मचारी का दायित्व है। संवैधानिक मर्यादाओं के प्रति सत्यनिष्ठा हम सभी से अपेक्षित है।