विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चीन (China ) की दूसरी कोरोना वैक्सीन ( Chinese Covid vaccine )को इमरजेंसी यूज के लिए अप्रूव कर दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सिनोवेक बायोटेक के टीके को कोरोना महामारी में इमरजेंसी यूज की मंजूरी दी है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ये टीका 18 साल के ऊपर के लोगों पर लगाया जा सकेगा। फर्स्ट और सेकेंड डोज के बीच का अंतर 2 से 4 हफ्ते के बीच होगा।
कोरोना महामारी के बीच अब तक कई गरीब देशों में वैक्सीन नहीं पहुंच पाई है। ऐसे में इस फैसले से संकेत मिलते हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैश्विक वैक्सीन कार्यक्रम COVAX में भी इस टीके को शामिल किया जा सकता है। इससे गरीब देशों में वैक्सीन की जरूरतें पूरी हो सकेंगी।
बता दें कि भारत ने भी COVAX के 70 से ज्यादा देशों को टीके भेजे हैं, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के बाद सप्लाई रोक दी गई है। WHO अब चीन जैसे देशों की वैक्सीन से इस कमी को पूरा करना चाहता है।
इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन में बनी सिनोफार्म की कोविड-19 वैक्सीन( Covid-19 vaccine ) BBIBP-CorV ( Chinese Covid vaccine )को इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत दी है। इस वैक्सीन को चाइना नेशनल बायोटेक ग्रुप (CNBG) की सहायक कंपनी बीजिंग बायो-इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलिॉजिकल प्रोडक्ट्स कंपनी लिमिटेड ने विकसित किया है।
सिनोफार्म की वैक्सीन भारत में बन रही ‘कोवैक्सिन’ जैसी ही है। यह दोनों वैक्सीन इनएक्टिवेटेड प्लेटफॉर्म पर बनी है। अच्छी बात यह है कि कोवैक्सिन कोरोना के कई वैरिएंट्स पर कारगर है, जबकि सिनोफार्म की वैक्सीन ( Chinese Covid vaccine )की वैरिएंट्स पर इफेक्टिवनेस के बारे में कोई जानकारी नहीं है। सिनोफार्म पश्चिमी देशों से ईतर पहली ऐसी वैक्सीन है, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने समर्थन दिया है।
कुछ समय पहले चीन के शीर्ष रोग नियंत्रण अधिकारी ने कहा था कि देश के कोरोना वायरस संक्रमण रोधी टीके कम असरदार हैं और सरकार इन्हें और अधिक प्रभावी बनाने पर विचार कर रही है।चीन के रोग नियंत्रण केन्द्र (सीडीसी) के निदेशक गाओ फू ने कहा था कि चीन के टीकों में ‘बचाव दर बहुत ज्यादा नहीं है।’ गाओ का यह बयान ऐसे वक्त में सामने आया जब चीन ने अन्य देशों को टीकों की करोड़ों खुराकें दी हैं और पश्चिमी देशों के टीकों के प्रभावी होने पर संशय पैदा करने और बढ़ावा देने की भी वह लगातार कोशिश कर रहा है।