उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh) के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय( Banda University of Agriculture and Technology )में शिक्षकों की नियुक्तियों में अनियमितता से जुड़े आरोपों की जांच के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी को जांच के लिए निर्देशित किया है। आरोप लगाया गया है बड़ी संख्या में एक ही जाति के लोगों की नियुक्ति कर दी गई है।
भाजपा के चंदवारी विधायक बृजेश कुमार प्रजापति ने मुख्यमंत्री, राज्यपाल, अध्यक्ष राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग व अपर मुख्य सचिव कृषि को पत्र लिखकर आरक्षण नियमों का उल्लंघन कर नियुक्तियों की शिकायत की है। विधायक ने कहा है विश्वविद्यालय( Banda University ) ने शैक्षिक भर्तियों के लिए 40 पदों का विज्ञापन दो बार में निकाला। दोनों विज्ञापन में एक माह का अंतर है। इन दोनों विज्ञापनों में आरक्षण संबंधी गंभीर अनियमितताएं की गई है।
भाजपा विधायक ( BJP MLA ) ने कहा है कि विश्वविद्यालय( Banda University ) के विज्ञापन पूर्व रोस्टर आरक्षण एक साथ संवर्ग वार निश्चित न करने से दोनों विज्ञापन के कुल 40 पदों में 29 पदों की कैटेगरी का आवंटन गलत है। उन्होंने दोनों विज्ञापनों में हुई त्रुटियों को दूर करने के लिए सभी 40 रिक्त पदों का एक साथ विज्ञापन कराने का आग्रह किया है, जिसमें पदों का आवंटन शासकीय व्यवस्था अनुसार किया जाए। उन्होंने आरोप लगाया है कि कुछ अभ्यर्थियों को लाभ देने के उद्देश्य से विज्ञापन को दो टुकड़ों में कर आरक्षण के रोस्टर से गंभीर छेड़छाड़ की गई है। प्रोफेसर के लिए अनारक्षित वर्ग के 4 पदों में से 2 पर, एसोसिएट प्रोफेसर के 5 अनारक्षित व 2 ईडब्ल्यूएस पदों में से 4 अनारक्षित पद पर नियुक्ति की गई।
असिस्टेंट प्रोफेसर के 8 पद अनारक्षित व एक ईडब्ल्यूएस के लिए था। सभी 9 पदों मे पर नियुक्ति की गई। कुल 20 पदों में से 17 पद अनारक्षित व तीन ईडब्ल्यूएस वर्ग के थे। इनमें कुल 15 पर चयन हो सका। इनमें अनारक्षित के 14 में 11 पर ठाकुर जाति के लोग चयनित हुए। एक-एक मराठी, एससी व ओबीसी अभ्यर्थी चयनित हुआ। ईडब्ल्यूएस के जिस एक पद पर चयन हुआ उस पर भूमिहार अभ्यर्थी चयनित हुआ है।