वाराणसी (Varanasi) के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय ( Sampurnanand Sanskrit University ) के नए कुलपति ( Vice-Chancellor ) प्रो. हरे राम त्रिपाठी( Prof Hare Ram Tripathi )ने शनिवार को 35वें कुलपति के रूप में कार्यभार संभाल लिया।
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत भारतीय परंपरा को ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम का निर्माण किया जाएगा। विश्विद्यालय में रोजगार परक कोर्स खोले जाएंगे। इसके साथ ही प्राचीन प्रबंधशास्त्र पर आधारित एक नए पाठ्यक्रम की जल्द ही रूपरेखा तैयार कर उसकी शुरुआत की जाएगी। प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि संस्कृत भाषा और साहित्य के प्रचार-प्रसार के साथ ही विश्वविद्यालय में शिक्षण का स्तर ऊंचा रखना उनकी शीर्ष प्राथमिकता में शामिल है।
नए कुलपति ( Vice-Chancellor )ने कहा कि संस्कृत विश्वविद्यालय के साथ ही देश और दुनिया में इससे जुड़े 1,000 से ज्यादा महाविद्यालयों के छात्र-छात्राओं को रोजगार के विभिन्न अवसर उपलब्ध हों, ऐसा वह प्रयास करेंगे। विश्वविद्यालय के मूर्धन्य विद्वानों के जीवन पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री जल्द बनाई जाएगी। ताकि आने वाली पीढ़ियां उन विद्वानों से परिचित हो सकें और उनका लाभ ले सके।
प्रो. त्रिपाठी ने संस्कृत विश्वविद्यालय को एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की बात कही। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में प्राचीन वेध शाला और ज्योतिष खगोलीय गणना के केंद्र हैं, आने वाले समय में इनको विकसित किया जाएगा। इस कवायद से विश्वविद्यालय संस्कृत जगत में एक पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाएगा और लोग इसको देखने के लिए आयेंगे।विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी के डिजिटलीकरण का काम जल्द ही शुरू किया जाएगा।
कुलपति ( Vice-Chancellor ) प्रो. हरे राम त्रिपाठी ने कार्यभार ग्रहण करने से पूर्व काशी की परंपरा का पालन करते हुए बाबा कालभैरव, बाबा विश्वनाथ, मां अन्नपूर्णा और मां वाग्देवी का विधिविधान से दर्शन-पूजन किया। इसके बाद लखनऊ यूनिवर्सिटी के कुलपति और संस्कृत विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय से कार्यभार ग्रहण किया।
कुशीनगर जिले के निवासी प्रो. हरे राम त्रिपाठी इससे पहले छात्र जीवन में वर्ष 1986 में काशी आए थे। काशी में उन्होंने उत्तर मध्यमा की शिक्षा रामाचार्य संस्कृत महाविद्यालय से ली। इसके बाद शास्त्री, आचार्य और विद्यावारिधि की उपाधि सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से ली। प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि बाबा विश्वनाथ की कृपा से यह अवसर प्राप्त हुआ है कि जिस विश्वविद्यालय में छात्र रहा, आज वहीं का कुलपति नियुक्त हुआ हूं।