तमिलनाडु ( Tamil Nadu ) के पूर्व मंत्री एम मणिकनंदन( Former minister M Manikandan )को विदेशी महिला के साथ दुष्कर्म के मामले में गिरफ्तार किया गया है। चेन्नई पुलिस ने पूर्व मंत्री मणिकनंदन को बंगलूरू से गिरफ्तार किया है। पूर्व मंत्री मणिकनंदन पर मलेशिया की महिला के साथ दुष्कर्म करने का आरोप है।
तमिलनाडु के पूर्व मंत्री एम मणिकनंदन पर विदेशी महिला के साथ दुष्कर्म के आरोप मेंं गिरफ्तार किया गया है। मणिकनंदन को बंगलूरू( Bengaluru ) से धर दबोचा है। पूर्व मंत्री पर मलेशिया की महिला के साथ रेप और ऑबर्शन कराने का आरोप है। चेन्नई पुलिस ने बताया कि मद्रास हाई कोर्ट की तरफ से अग्रिम जमानत देने सेइनकार करने के बाद से वो गिरफ्तारी से बच रहे थे।
तमिल फिल्म इंडस्ट्री की एक्ट्रेस ने मई 2021 में तमिलनाडु के पूर्व मंत्री मणिकंदन पर चेन्नई थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। हीरोइन ने आरोप लगाया कि पिछले 5 सालों से मणिकंदन उनका यौन शोषण कर रहे थे। इसके अलावा शादी का झूठा झासा, गर्भपात कराने, धोखाधड़ी और जान से मारने की धमकी भी दी। यहां तक कि मलेशिया में रह रहे परिवार के लोगों को भी जान से मारने की धमकी दी। पीड़ित ने ब्लैकमेल करने का आरोप भी लगाया। अभिनेत्री ये कहा था कि वह तमिलनाडु के पूर्व मंत्री मणिकंदन के साथ 2017 से रिलेशनशिप में थीं। उस वक्त मणिकंदन सूचना और प्रद्यौगिकी मंत्री थे।
इससे पहले, मद्रास हाइकोर्ट ( Madras High Court) ने मलेशिया की एक महिला( Malaysian woman )के यौन उत्पीड़न के मामले में आरोपी एवं अन्नाद्रमुक के पूर्व मंत्री एम मणिकंदन ( M Manikandan ) के वकील की वह याचिका बुधवार को खारिज कर दी, जिसमें उन्हें नौ जून तक गिरफ्तार नहीं करने का निर्देश देने संबंधी एक अन्य न्यायाधीश के आदेश की अवधि बढ़ाने की अपील की गई थी। न्यायमूर्ति आर सुब्रमण्यन ने दो जून को मणिकंदन की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान मामले को नौ जून तक के लिए स्थगित कर दिया था। न्यायाधीश ने कहा था कि नौ जून तक याचिकाकर्ता को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।
न्यायमूर्ति अब्दुल कुद्दोस के समक्ष जब बुधवार को मणिकंदन ( M Manikandan )की अग्रिम जमानत याचिका आई, तो उन्होंने मणिकंदन, 32 वर्षीय महिला शिकायतकर्ता और पुलिस विभाग के वकील की विस्तृत दलीलें सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया और पक्षों को लिखित में अपनी दलीलें पेश करने को कहा। मणिकंदन की याचिका को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति अब्दुल कुद्दोस ने कथित आरोप की गंभीरता और आरोपी के व्यक्तित्व को रेखांकित करते हुए कहा कि मामले की जांच प्राथमिक स्तर पर है और ऐसे में अग्रिम जमानत की याचिका योग्य नहीं है।
न्यायमूर्ति ने कहा कि मौजूद मामला एक पूर्व मंत्री द्वारा किए गए कथित अपराध को लेकर है जो गंभीर प्रवृत्ति का है और प्रथम दृष्टया प्राथमिकी दर्ज करने के योग्य भी है। याचिकाकर्ता से जानकारी एकत्र करने के लिए हिरासत में लेकर पूछताछ करनी जरूरी है। अगर जमानत दी जाती है, तो संभव है कि वह अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर गंभीर जांच से बचे।