इलाहाबाद हाईकोर्ट ( Allahabad High Court ) ने मंगलवार को एक छात्र को जमानत दे दी, जिस पर कोविड-19 वैक्सीन ( Covid-19 vaccine ) नैदानिक परीक्षण नियमों का उल्लंघन करने और आवश्यक दस्तावेजों/ कागजात/ अनुमति के बिना कथित तौर पर वैक्सीन लगाने में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव की पीठ ने एमएससी के चौथे सेमेस्टर के छात्र सुधाकर यादव ( Sudhakar Yadav )को जमानत दे दी है। जो हिमगिरी जी विश्वविद्यालय, देहरादून, उत्तराखंड के संस्थान में नैदानिक अनुसंधान का अध्ययन कर रहा है।
हिमगिरी जी विश्वविद्यालय, देहरादून, उत्तराखंड के संस्थान में नैदानिक अनुसंधान का अध्ययन कर रहे छात्र सुधाकर यादव की जमानत अर्जी पर न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने सुनवाई की। छात्र पर गौतमबुद्ध नगर के दादरी थाने में भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम की धारा 15 (2), 15 (3) और आईपीसी की धारा 420 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
आरोप है कि फरवरी 2021 में चिकित्सा अधीक्षक, सीएचसी, दादरी को पता चला कि गोपाल पैथोलॉजी लैब में आम जनता को कोरोना वायरस ( Covid-19 vaccine ) का नि:शुल्क टीका लगाया जा रहा है और इसके बाद मामले की जानकारी वरिष्ठ अधिकारी को दी गई। जिसके बाद इस मामले की जांच डॉ. संजीव कुमार और ड्रग इंस्पेक्टर बागपत ने की। जांच के दौरान पाया गया कि एक एनजीओ के सहयोग से नि:शुल्क कोरोना टीकाकरण शिविर का आयोजन किया गया था और जब जांच अधिकारी लैब में पहुंचे तो एक व्यक्ति वैक्सीन ( Covid-19 vaccine ) का इंजेक्शन लगा रहा था।
पूछने पर जांच टीम को बताया कि वह लोग फ्लोर्स अस्पताल के कर्मचारी हैं और जिन्हें अस्पताल द्वारा टीकाकरण के लिए अधिकृत किया गया है, लेकिन जब निरीक्षण दल ने इस संबंध में कागज की मांग की, तो उनके पास इस संबंध में कोई कागजात नहीं मिले। याची के वकील कहना था कि वह निर्दोष है और उसे वर्तमान मामले में झूठा फंसाया गया है और वह इंस्टीट्यूट ऑफ क्लिनिकल रिसर्च इंडिया (आईसीआरआई) की देखरेख में देहरादून स्थित एक विश्वविद्यालय द्वारा चलाए जा रहे एमएससी, क्लिनिकल रिसर्च का कोर्स कर रहा है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों और मामले के तथ्यों पर साक्ष्यों पर विचार करने के बाद जमानत अर्जी मंजूर कर ली है।