आयकर विभाग ( income tax department ) द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन से लगभग 40 लाख रुपये की इनकम टैक्स की वसूली के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ( Allahabad High Court ) ने केंद्र सरकार और आयकर विभाग को जवाब दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है। हालांकि बार एसोसिएशन ने इस समय सीमा का विरोध किया मगर कोर्ट ने कहा कि आयकर विभाग को इतना समय देना जायज है। लेकिन इससे ज्यादा समय अब नहीं दिया जाएगा।
हाईकोर्ट ( Allahabad High Court ) बार ने आयकर विभाग द्वारा किए गए कर निर्धारण और वसूली नोटिस को चुनौती दी है। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति एमएन भंडारी और न्यायमूर्ति अजय त्यागी की पीठ कर रही है। बार का कहना है कि वह सदस्यों के लाभ के लिए गठित संस्था है, जो किसी प्रकार की व्यवसायिक गतिविधि में शामिल नहीं है, लिहाजा वह आयकर के दायरे में नहीं आती है। अध्यक्ष अमरेंद्र नाथ सिंह ने वसूली गई रकम वापस दिलाने की मांग की। कोर्ट ने इस स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे संज्ञान में है कि सौ से अधिक अधिवक्ताओं की कोरोना से मृत्यु हुई है। जिनके परिवारों को आर्थिक सहायता देने का भार बार एसोसिएशन पर है। अगर ऐसे ही कर निर्धारण हुआ तो बार का खजाना अर्थदंड चुकाने में खाली हो जाएगा।
केंद्र सरकार और आयकर विभाग के अधिवक्ता गौरव महाजन ने विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह के समय की मांग की, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया। बार एसोसिएशन की ओर से कर सलाहकार डा. पवन जायसवाल, अजय सिंह और रामानुज तिवारी ने पक्ष रखा।
याचिका में बार एसोसिएशन ने कहा है कि आयकर विभाग ने वर्ष 2017-18 के लिए 39,68,313 रुपये आकर के रूप में वसूले हैं। यह वसूली एकपक्षीय रूप से की गई है। बार एसोसिएशन ने इसके विरुद्ध आयकर विभाग में पुनरीक्षण अर्जी भी दाखिल की है, जिसका अब तक निस्तारण नहीं किया गया। एसोसिएशन का कहना है कि कोरोना महामारी के कारण करीब डेढ़ सौ अधिवक्ताओं की मृत्यु हुई है, जिनके परिवारों को बार की ओर से पांच लाख रुपये का अनुदान दिया जा रहा है। ऐसे में वसूली गई रकम वापस मिलने से बार एसोसिएशन को अधिवक्ता परिवारों की मदद करने में सहूलियत होगी।
हाईकोर्ट ( Allahabad High Court ) एसोसिएशन के कर सलाहकार डा. पवन जायसवाल का कहना था कि आयकर विभाग को वसूली करने से पहले यह देख लेना चाहिए था कि हाईकोर्ट बार आयकर के दायरे में आता है या नहीं। उन्होंने कहा एसोसिएशन सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत पंजीकृत संस्था है। एसोसिएशन सिर्फ अपने सदस्यों के आपसी लाभ के लिए कार्य करता है। म्यूचुअल बेनीफिट के लिए कार्य करने वाली संस्था की आय आयकर के दायरे से मुक्त होती है।
हाईकोर्ट ( Allahabad High Court ) एसोसिएशन की आमदनी का मुख्य स्रोत सदस्यों से मिलने वाला सदस्यता शुल्क और फोटो एफिडेविट से होने वाली आय है। इस आमदनी का कुछ हिस्सा फिक्स डिपॉजिट किया जाता है जिसके ब्याज से अधिवक्ताओं को चिकित्सकीय सहायता देने का कार्य किया जाता है। मामले की अगली सुनवाई 19 जुलाई को होगी।