Friday, September 20, 2024

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Uttar Pradesh :पति को छोड़कर लिव इन रिलेशन में रहने वाली महिला को सुरक्षा देने से हाईकोर्ट ने किया इनकार

Allahabad High Court

 Allahabad High Court   (  ) ने अपने पति को छोड़कर दूसरे व्यक्ति के साथ लिव इन रिलेशन(  Live-in-relationship )में रहने वाली महिला को सुरक्षा देने से इंकार कर दिया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ( Allahabad High Court ) ने कहा कि याची महिला ने अपने पति के खिलाफ न तो तलाक का केस किया है और न ही घरेलू हिंसा कानून या भारतीय दंड संहिता के  तहत अपराधों की शिकायत दर्ज कराई है।ऐसे में पति द्वारा प्रताड़ित होने के आधार पर पति से सुरक्षा की गुहार लगाने बेमानी है।कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए याचिका खारिज कर दी  है।

यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति साधना रानी ठाकुर की खंडपीठ ने सुरभि की याचिका पर दिया है।याची कहना था कि उसका पति समाज विरोधी क्रिया कलापों में लिप्त है जिससे परेशान होकर घर छोड़ दिया और  वह दूसरे पुरूष मोहित के साथ  लिव -इन रिलेशनशिप (  Live-in-relationship )में रह रही है।पति से उसे खतरा  है।उसने  राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन को शिकायत की है। पति से उसे सुरक्षा दी जाए। । इलाहाबाद हाईकोर्ट ( Allahabad High Court ) ने सुरक्षा का निर्देश देने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी।

इससे पहले भी पिछले हफ्ते इसी तरह के मामले में  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव इन रिलेशन (  Live-in-relationship )में रह रही पहले से शादीशुदा महिला को संरक्षण देने का आदेश देने से इंकार करते हुए उसकी याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर पांच हजार रुपये हर्जाना भी लगाया था। याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस केजे ठाकर और जस्टिस दिनेश पाठक की पीठ ने कहा कि क्या हम ऐसे लोगों को संरक्षण देने का आदेश दे सकते हैं जिन्होंने हिंदू विवाह अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत कार्य किया है। कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 21 सभी नागारिकों को जीवन जीने की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। मगर यह स्वतंत्रता कानून के दायरे में हो तभी उन पर लागू होगी।

अलीगढ़ की गीता ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा कि वह अपनी मर्जी से पति को छोड़ कर दूसरे व्यक्ति के साथ रह रही है। पति और उसके परिवार के लोग उसके शांतिपूर्ण जीवन में हस्तक्षेप कर रहे हैं। इसलिए उनको ऐसा करने से रोका जाए और याची को सुरक्षा दी जाए। कोर्ट ने कहा कि याची वैधानिक रूप से विवाहित महिला है।

जिस किसी भी कारण से वह अपने पति से अलग होकर दूसरे व्यक्ति के साथ रह रही है क्या इस स्थिति में उसे अनुच्छेद 21 का लाभ दिया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि यदि महिला के पति ने प्रकृति विरुद्ध अपराध किया है(377 आईपीसी के तहत) मगर महिला ने इसके खिलाफ कभी प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई है। कोर्ट ने संरक्षण देने से इंकार करते हुए याची पर पांच हजार रुपये हर्जाना लगाया और हर्जाने की रकम राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा कराने का निर्देश दिया था।

 

Vijay Upadhyay

Vijay Upadhyay is a career journalist with 23 years of experience in various English & Hindi national dailies. He has worked with UNI, DD/AIR & The Pioneer, among other national newspapers. He currently heads the United News Room, a news agency engaged in providing local news content to national newspapers and television news channels