उत्तराखंड ( Uttarakhand) के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ( Tirath Singh Rawat ) ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल बेबीरानी मौर्य को इस्तीफा सौंप दिया। वहीं, इससे पहले सीएम ने रात करीब दस बजे प्रेसवार्ता कर सबको चौंका दिया था। अटकलें थीं कि सीएम तीरथ प्रेसवार्ता में अपने पद से इस्तीफे का एलान कर सकते हैं। लेकिन इस दौरान उन्होंने बाकी किसी भी राजनीतिक मुुद्दे पर बोलने की बजाय अपनी सरकार के काम गिनाए। अब शनिवार को देहरादून में बीजेपी विधायक दल की बैठक आयोजित की जाएगी। सभी भाजपा विधायकों को 11 बजे तक बैठक में पहुंचने के निर्देश दिए गए हैं।
बता दें कि त्रिवेंद्र सिंह रावत( Trivendra Singh Rawat ) के सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद तीरथ सिंह रावत ने बीती 10 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की थी। शपथ लेने के 115 दिन बाद उन्होंने उन्होंंने शुक्रवार को दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को इस्तीफे की पेशकश की थी।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ( Tirath Singh Rawat ) ने इस संदर्भ में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने यह पेशकश की, इसके पीछे की वजह संवैधानिक संकट पैदा होना बताया गया है।राज्य सियासी हलचल के बीच रावत ने जेपी नड्डा से मुलाकात भी की थी।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ( Tirath Singh Rawat ) का कहना था कि पद पर बने रहने के लिए 10 सितंबर तक उनका विधानसभा सदस्य निर्वाचित होना जरूरी था। प्रदेश में फिलहाल विधानसभा की दो सीटें, गंगोत्री और हल्द्वानी रिक्त हैं जहां उपचुनाव कराया जाना है। चूंकि राज्य में अगले ही साल फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव होना प्रस्तावित है और इसमें साल भर से कम समय बचा है। ऐसे में लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 151 ए के तहत अब इस स्थिति में उप-चुनाव नहीं हो सकता है।

पिछले एक हफ्ते से ही ये कयास लगाए जा रहे थे कि उत्तराखंड में एक बार फिर मुख्यमंत्री का चेहरा बदल सकता है। उनके इस्तीफे के पीछे संवैधानिक मजबूरी को वजह बताया जा रहा था। वे अभी राज्य के किसी सदन के सदस्य नहीं थे। यही बात उनके मुख्यमंत्री बने रहने के आड़े आ रही थी। रावत को भाजपा आलाकमान ने बुधवार को दिल्ली तलब किया था। वहां गृह मंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा ने उनसे मुलाकात की थी।