राजस्थान ( Rajasthan ) के सवाई माधोपुर स्थित रणथम्भौर राष्ट्रीय अभयारण्य ( Ranthambore National Park )के खंडार रेंज में नाका गिलाई वन क्षेत्र में भरे मामूली पानी में बाघ टी-65 की लाश मंगलवार को गश्त के दौरान नजर आई। अचानक तीसरे टाइगर की मौत पर रणथम्भौर नेशनल पार्क ( Ranthambore National Park ) के अफसरों के होश उड़ गए। सूचना पर अफसर मौके पर पहुंचे और उसका पोस्टमार्टम कराया गया। पोस्टमार्टम के बाद भी अफसरों ने उसकी मौत को लेकर कुछ स्पष्ट नहीं कहा है। आशंका जताई जा रही है कि टाइगर की मौत टेरेटरी के कारण हुई फाइट में तो नहीं हुई है। जानकारों का कहना है कि इसके पीछे किसी की साजिश भी हो सकती है। पिछले दो माह में दो मौतों पर वन विभाग ने यह कहा था कि उनकी मौत टेरिटाेरियल फाइट में हुई थी, लेकिन मंगलवार को जिस स्थान पर टाइगर का शव मिला है, वहां इस प्रकार की फाइट की संभावना से इनकार किया गया है। उसके शरीर पर ऐसे कोई निशान भी नहीं मिले हैं।
रणथम्भौर नेशनल पार्क ( Ranthambore National Park ) के अफसरों ने पोस्टमार्टम के बाद यह तो बताया कि टाइगर के विसरा के सैंपल जांच के लिए भेजे हैं, लेकिन यह नहीं बताया कि जिस पानी में उसकी लाश मिली, उसके सैंपल भी फॉरेंसिंक जांच के लिए भेजे अथवा नहीं। इससे पहले शव नाका राजबाग लाया गया। इसके बाद मेडिकल बोर्ड ने पोस्टमार्टम किया। डॉ. राजीव गर्ग ने बताया कि पोस्टमार्टम में बाघ के शरीर पर किसी भी प्रकार के चोट के निशान नहीं मिले हैं। उनका दावा है कि बाघ मरने के बाद ही पानी में गिरा है। यानी जहर शरीर में जाने के बाद बाघ पानी पीने दौड़ा हो और उसकी मौत हाे गई हो। अब डॉक्टर ने बताया कि बाघ की मौत किसी बीमारी से हुई है या नहीं इसके लिए ही सैम्पल ले लिए गए हैं। मौत के कारणों का पता IVRI (Indian Veterinary Research Institute) से रिपाेर्ट आने के बाद ही लग पाएगा। मेडिकल बोर्ड के अनुसार, बाघ की मौत हार्ट अट्रैक से हो सकती है।