हिमाचल प्रदेश ( Himachal Pradesh ) के छह बार मुख्यमंत्री व पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरभद्र सिंह ( Virbhadra Singh ) का आज तड़के निधन हो गया है। जानकारी के अनुसार वीरभद्र का निधन सुबह 3.40 बजे हुआ। दोबारा कोरोना पॉजिटिव आने के बाद से वह शिमला के आईजीएमसी में उपचाराधीन थे।वीरभद्र सिंह को दो बार कोरोना हुआ। पहली बार 12 अप्रैल और दूसरी बार 11 जून को उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता के निधन से प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई है। वह करीब ढाई महीने से आईजीएमसी में दाखिल थे। सोमवार को अचानक तबीयत खराब होने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर पर दाखिल कर दिया था। जिसके बाद से वह बेहोशी की हालत में यहां पर उपचाराधीन थे। लेकिन गुरुवार सुबह उनकी मौत हो गई। वह 87 साल के थे। आईजीएमसी के एमएस डॉ. जनक राज में उनकी मौत की पुष्टि की है।वर्तमान में वीरभद्र अर्की से विधायक थे।
वह हिमाचल प्रदेश के सर्वाधिक अनुभवी नेता थे, जो पंडित जवाहरलाल नेहरू को राजनीतिक गुरु मानते थे। नेहरू ने ही उन्हें राजनीति में भी लाया। उसके बाद वह इंदिरा गांधी, मनमोहन सरकार आदि में भी केंद्र में प्रमुख भूमिकाओं में रहे। हिमाचल में सबसे अधिक छह बार मुख्यमंत्री बनने का रिकाॅर्ड उन्हीं के नाम दर्ज है।
वीरभद्र सिंह ( Virbhadra Singh )यूपीए सरकार में भी केंद्रीय कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। उनके पास केंद्रीय इस्पात मंत्रालय रहा। इसके अलावा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय भी रह चुका है। वीरभद्र सिंह का जन्म 23 जून, 1934 को बुशहर रियासत के राजा पदम सिंह के घर में हुआ।
वीरभद्र सिंह ( Virbhadra Singh )ने 1983 से 1985 पहली बार, फिर 1985 से 1990 तक दूसरी बार, 1993 से 1998 में तीसरी बार, 1998 में कुछ दिन चौथी बार, फिर 2003 से 2007 पांचवीं बार और 2012 से 2017 छठी बार मुख्यमंत्री बने। लोकसभा के लिए वह पहली बार 1962 में चुने गए।
उन्होंने पहली बार महासू लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था। लोकसभा के लिए वीरभद्र सिंह 1962, 1967, 1971, 1980 और 2009 में चुने गए। वर्तमान में वीरभद्र सिंह अर्की से विधायक थे। इंदिरा गांधी की सरकार में वीरभद्र सिंह दिसंबर 1976 से 1977 तक केंद्रीय पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री रहे। दूसरी बार भी वह इंदिरा सरकार में ही वर्ष 1982 से 1983 तक केंद्रीय उद्योग राज्यमंत्री रहे।
इसके बाद उन्होंने हिमाचल प्रदेश में तत्कालीन मुख्यमंत्री ठाकुर राम लाल की जगह मुख्यमंत्री की कमान संभाली। उसके बाद से राज्य की राजनीति में सक्रिय हुए।
वीरभद्र सिंह ( Virbhadra Singh )परंपरागत सीट रोहड़ू से विधानसभा चुनाव लड़ते थे। अपने घर रामपुर की सीट के अनारक्षित होने के कारण वह कभी भी यहां से चुनाव नहीं लड़ पाए। पुनर्सीमांकन के चलते रोहड़ू सीट भी आरक्षित हुई तो 2012 में उन्होंने शिमला ग्रामीण सीट से चुनाव लड़ा। 2017 में उन्होंने यह सीट बेटे विक्रमादित्य सिंह के लिए छोड़ दी और खुद अर्की से चुनाव लड़े।