( Supreme Court) ने कहा कि अस्पताल (Hospitals ) संकट में मरीजों को सहायता प्रदान करने के लिए होते हैं, लेकिन यह व्यापक रूप से महसूस किया जाता है कि वे पैसे कमाने की मशीन बन गए हैं, जो मरीजों की परेशानी को बढ़ाते हैं।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ( Justice DY Chandrachud )और जस्टिस एमआर शाह (Justice MR Shah) की पीठ ने कहा कि अस्पताल (Hospitals ) बड़े उद्योग बन गए हैं और यह सब मानव जीवन को संकट में डालकर हो रहा है। हम उन्हें जीवन की कीमत पर समृद्ध नहीं होने दे सकते। बेहतर होगा ऐसे अस्पतालों को बंद कर दिया जाए।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court) गुजरात ( Gujarat) के अस्पतालों (Hospitals ) में आग के मामले पर सुनवाई कर रही थी। शीर्ष अदालत ने भवन उपयोग अनुमति के संबंध में अस्पतालों के लिए समय सीमा जून, 2022 तक बढ़ाने को लेकर गुजरात सरकार की जमकर खिंचाई की। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार से अस्पतालों को छूट देने वाली इस अधिसूचना को वापस लेने को कहा।
सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court) ने कहा कि एक मरीज जो कोविड से ठीक हो गया था और उसे अगले दिन छुट्टी दी जानी थी, परंतु आग लगने से उसकी मौत हो गई और दो नर्सें भी जिंदा जल गईं। पीठ ने कहा कि ये मानवीय त्रासदी हैं, जो हमारी आंखों के सामने हुआ। फिर भी हम इन अस्पतालों के लिए समय बढ़ाते हैं।
पीठ ने कहा कि एक बार जब परमादेश (मंडमस) जारी कर दिया गया हो तो उसे इस तरह की एक कार्यकारी अधिसूचना द्वारा ओवरराइड नहीं किया जा सकता है। आपका कहना है कि अस्पतालों को जून, 2022 तक आदेश का पालन नहीं करना है और तब तक लोग मरते और जलते रहेंगे। पीठ ने कहा कि अस्पताल एक रियल एस्टेट उद्योग बन गए हैं और संकट में मरीजों को सहायता प्रदान करने के बजाय यह व्यापक रूप से महसूस किया गया कि वे पैसे कमाने की मशीन बन गए हैं।
शीर्ष अदालत ने अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा के मुद्दे पर एक आयोग की रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में दायर करने पर भी नाराजगी जताई। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि सीलबंद लिफाफे में आयोग की यह कौन सी रिपोर्ट है? यह कोई परमाणु रहस्य नहीं है।
शीर्ष अदालत, राजकोट और अहमदाबाद के अस्पतालों में आगजनी की घटनाओं के मद्देनजर देश भर के कोविड-19 अस्पतालों में आग की त्रासदियों से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रही थी।
पिछले साल नौ दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को राज्यों से अस्पतालों में किए गए अग्नि सुरक्षा ऑडिट रेपोर्ट लेकर अदालत में पेश करने के लिए कहा था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 18 दिसंबर को आदेश दिया था कि राज्य सरकार को प्रत्येक कोविड अस्पताल का महीने में कम से कम एक बार फायर ऑडिट करने के लिए एक समिति का गठन करना चाहिए और अस्पताल (Hospitals ) के प्रबंधन को कमी की सूचना देनी चाहिए।