पश्चिम बंगाल में हुई चुनाव बाद हिंसा( Bengal post-poll violence ) के मामले में कलकता हाईकोर्ट ( Calcutta High Court ) ने ममता सरकार पर सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान कहा कि चुनाव के बाद अप्रैल और मई में हिंसा की सरकार सही तरीके से जांच कराने में नाकाम हुई है। याचिका पर 5 जजों की बेंच ने सुनवाई की। बेंच ने अगली सुनवाई के लिए 28 जुलाई की तारीख तय की है। इससे पहले 26 जुलाई को सरकार को रिपोर्ट पर अपना जवाब दायर करने के लिए कहा गया है।
कलकता हाईकोर्ट ( Calcutta High Court ) के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल, न्यायाधीश आइपी मुखर्जी, न्यायाधीश हरीश टंडन, न्यायाधीश सौमेन सेन और न्यायाधीश सुब्रत तालुकदार की पांच जजों की बेंच ने गुरुवार को कहा कि राज्य सरकार को एनएचआरसी की रिपोर्ट के जवाब में अपना हलफनामा दाखिल करने का अंतिम अवसर दिया जा रहा है। 26 जुलाई के भीतर हलफनामा पेश करना होगा। इसके बाद समय का विस्तार नहीं किया जाएगा। इसके अलावा हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपों पर एनएचआरसी रिपोर्ट का ब्योरा देने की राज्य सरकार की मांग खारिज कर दी।
सुनवाई के दौरान बंगाल सरकार की तरफ से विरष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने की। सिंघवी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की रिपोर्ट को खारिज कर दिया। सिंघवी ने रिपोर्ट को राजनीति से प्रेरित बताया। याचिकाकर्ता की तरफ से वकील महेश जेठमलानी सुनवाई के दौरान मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि जिस राज्य की निष्क्रियता के कारण पूरा विवाद खड़ा हुआ है, अब वही मामले की जांच करना चाहता है। जेठमलानी ने एक स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग की है।वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने दलील दी कि एनएचआरसी की रिपोर्ट के सारांश से स्पष्ट रूप से संकेत मिलता है कि पीड़ितों को धमकाने में राज्य के पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत रही है। चुनाव बाद भी राज्य में हिंसा जारी है। पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने 13 जुलाई को कलकत्ता हाईकोर्ट में रिपोर्ट सब्मिट की है। आयोग ने हिंसा को लेकर अदालत से कहा था कि बंगाल में कानून का शासन नहीं, बल्कि शासक का कानून चलता है। बंगाल हिंसा के मामलों की जांच राज्य से बाहर की जानी चाहिए।

रिपोर्ट के कुछ न्यूज चैनल और वेबसाइट्स पर खुलासे के बाद ममता बनर्जी ने ऐतराज जाहिर किया था। ममता ने कहा था कि आयोग को न्यायपालिका का सम्मान करना चाहिए और इस रिपोर्ट को लीक नहीं किया जाना चाहिए। इस रिपोर्ट को केवल कोर्ट के सामने रखना चाहिए।