उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh) के दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय( Deen Dayal Upadhyaya Gorakhpur University ) में शनिवार सुबह परीक्षा देने आई बीएसएसी (गृह विज्ञान) की छात्रा प्रियंका कुमारी का शव मिलने के मामले में अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद कैंट थाना पुलिस ने रविवार को विश्वविद्यालय के गृहविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. दिव्या रानी सिंह (Prof Divya Rani Singh) व सहयोगियों के विरुद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज किया है।
गोरखपुर विश्वविद्यालय(Gorakhpur University ) की छात्रा प्रियंका कुमारी (21) की मौत मामले में रविवार को नया मोड़ आ गया। छात्रा के पिता विनोद की तहरीर पर पुलिस ने गृह विज्ञान की विभागाध्यक्ष और सहयोगियों पर हत्या का केस दर्ज किया है। बता दें कि शनिवार दोपहर करीब 12 बजे विश्वविद्यालय के गृह विज्ञान विभाग के स्टोर रूम में प्रियंका का शव फंदे से लटका मिला था। यूनिवर्सिटी प्रशासन की सूचना पर पहुंची पुलिस ने आत्महत्या मानते हुए शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था। परिजनों की ओर से आत्महत्या के लिए कोई वजह नहीं बताई गई थी।

जानकारी के मुताबिक, शनिवार रात प्रियंका के शव के पोस्टमार्टम को लेकर परिजनों व मोहल्लेवासियों ने मेडिकल कॉलेज में हंगामा किया था। इसके बाद देर रात डॉक्टरों की टीम गठित कर पोस्टमार्टम कराया गया। दो डॉक्टरों की टीम ने वीडियो रिकॉर्डिंग के बीच पोस्टमार्टम किया। शव को घर लाने के बाद परिजनों और मोहल्लेवासियों ने हत्या की आशंका जाहिर की।
भाजपा के नगर विधायक डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल छात्रा के घर पहुंचे और पोस्टमार्टम रिपोर्ट पढ़कर हत्या की बात परिजनों को बताई। इसके बाद पिता ने हत्या का केस दर्ज कराया।नगर विधायक ने परिजनों से मुलाकात कर न्याय का भरोसा दिलाया। नगर विधायक ने बताया कि सिर पर चोट की बात पोस्टमार्टम में है। पैर भी जमीन से सटे हुए थे तो उसकी सांस कैसे फूल सकती है? आत्महत्या करने वाले के सिर में चोट के निशान नहीं हो सकते हैं। ये निशान कहां से आएंगे। नगर विधायक ने कहा कि पोस्टमार्टम से साफ है कि जिंदा रहते गला घुटने से मौत हुई है।
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय(Gorakhpur University) के कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने बीएससी गृह विज्ञान तृतीय वर्ष की छात्रा प्रियंका कुमारी की मौत के मामले की हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अगुवाई में न्यायिक जांच कराने का फैसला लिया है। चार सदस्यीय समिति में सेवानिवृत्त न्यायाधीश, एक कार्यपरिषद सदस्य के साथ विश्वविद्यालय के दो वरिष्ठ अधिकारी होंगे।