Friday, September 20, 2024

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Uttar Pradesh :भर्ती में धांधली के आरोप में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग  के पूर्व परीक्षा नियंत्रक प्रभुनाथ के खिलाफ सीबीआई ने दर्ज की एफ़आईआर

CBI Books UP Officer Over Alleged Irregularities in UPPSC's Additional Private Secretary Exam 2010

 () के पूर्व परीक्षा नियंत्रक प्रभुनाथ, आयोग के अज्ञात अफसरों/कर्मचारियों और बाहरी अज्ञात लोगों के खिलाफ फर्जीवाड़ा, कूटरचित दस्तोवेजों के प्रयोग, धोखाधड़ी एवं आपराधिक अतिचार का मुकदमा दर्ज कर लिया है।प्रभुनाथ वर्तमान में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) में विशेष सचिव के पद पर तैनात हैं।

एपीसी भर्ती-1010 में धांधली की सीबीआई जांच में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC)   के तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक प्रभुनाथ प्रथम दृष्टया आपराधिक साजिश में शामिल पाए गए हैं। सीबीआई के एसआई रवीश कुमार झा की ओर से दिल्ली स्थित सीबीआई की एंटी करप्शन-1 ब्रांच में दर्ज कराई गई एफआईआर में कहा गया है कि यूपीपीएससी  ने निर्णय किया था कि जो अभ्यर्थी एपीएस भर्ती-2010 के लिए आवेदन करेंगे, उन्हें सामान्य हिंदी, हिंदी शॉर्ट हैंड और हिंदी टाइप टेस्ट में शामिल होना पड़ेगा। शॉट हैंड टेस्ट कुल 135 अंकों का था और न्यूनतम 125 अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को क्वालीफाई कराया जाना था। साथ ही शॉर्ट हैंड टेस्ट में पांच फीसदी तक गलती अनुमन्य थी।

जांच में सामने आया है कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) ने 1244 अभ्यर्थियों को तीसरे चरण के लिए क्वालीफाई कराया, जिनमें से 913 अभ्यर्थियों को न्यूनतम 125 अंक मिले थे और शॉर्ट हैंड टेस्ट में पांच फीसदी या इससे कम गलतियां थीं और 331 अभ्यर्थियों को 119 से 125 अंक मिले थे और शॉर्ट हैंड टेस्ट में आठ फीसदी तक गलतियां थीं। सीबीआई ने सवाल उठाए हैं कि जब पूर्व में लिए गए निर्णय के अनुसार न्यूनतम 125 अंक पाने वाले और अधिकतम पांच फीसदी गलती करने वाले अभ्यर्थियों की संख्या पर्याप्त थी तो बाकी 331 अभ्यर्थियों को क्वालीफाई कराने का कोई औचित्य नहीं था। ऐसे में तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक प्रभुनाथ ने आयोग द्वारा बनाए गए नियमों का उल्लंघन किया।

सीबीआई को जांच में कुछ सर्टिफिकेट फर्जी मिले हैं, इसके बावजूद संबंधित अभ्यर्थियों का चयन कर लिया गया। इसके अलावा एपीएस भर्ती में तमाम अभ्यर्थी विज्ञापन की शर्तों के अनुरूप कंप्यूटर सर्टिफिकेट प्रस्तुत नहीं सके थे। आयोग ने 29 जुलाई 2015 को प्रेस रिलीज जारी करते हुए अभ्यर्थियों को 17 अगस्त 2015 तक सर्टिफिकेट प्रस्तुत करने का मौका दिया, लेकिन तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक प्रभुनाथ ने निर्धारित तिथि के बाद भी अभ्यर्थियों से सर्टिफिकेट स्वीकार किए थे और कुछ अभ्यर्थियों को अपने कंप्यूटर सर्टिफिकेट बदलने की अनुमति भी दी गई थी।

सीबीआई की ओर से दर्ज एफआईआर में कहा गया है एपीएस भर्ती के तहत शॉर्ट हैंड और टाइप टेस्ट के मूल्यांकन एवं स्कू्रटनी प्रक्रिया में वर्ष 2010 से 2017 के बीच आयोग के तमाम अधिकारी/कर्मचारी शामिल रहे। सीबीआई ने उनकी भूमिका को संदिग्ध मानते हुए कहा है कि मूल्यांकन एवं स्कू्रटनी निर्धारित प्रक्रिया के तहत नहीं कराई गई। नंबरों को अनावश्यक रूप से घटाया और बढ़ाया गया। इसी लापरवाही के करण कई योग्य अभ्यर्थियों का चयन नहीं हो सका और तमाम आयोग्य अभ्यर्थी चयनित कर लिए गए।

एपीएस-2010 के तहत उत्तर प्रदेश सचिवालय में 250 पदों पर भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की गई थी। भर्ती का विज्ञापन 2010 में जारी हुआ था। सामान्य अध्ययन और सामान्य हिंदी की परीक्षाएं 2013, हिंदी शॉर्ट हैंड और हिंदी टाइप की परीक्षाएं 2014 तथा कम्प्यूटर ज्ञान की परीक्षा 2016 में हुई थी। अंतिम चयन परिणाम 2017 में जारी हुआ था।

Vijay Upadhyay

Vijay Upadhyay is a career journalist with 23 years of experience in various English & Hindi national dailies. He has worked with UNI, DD/AIR & The Pioneer, among other national newspapers. He currently heads the United News Room, a news agency engaged in providing local news content to national newspapers and television news channels